जन्म से दो साल तक प्रबल होती कुपोषण से ग्रस्त होने की आशंका
बच्चे के जन्म से लेकर दो साल की आयु तक कुपोषण से ग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है। यह बच्चों के समग्र दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। यह बातें शनिवार को बाल विकास परियोजना कार्यालय मंझनपुर में आयोजित कार्यशाला के दौरान सीडीपीओ मंजू सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कहीं।
जासं, कौशांबी : बच्चे के जन्म से लेकर दो साल की आयु तक कुपोषण से ग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है। यह बच्चों के समग्र दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। यह बातें शनिवार को बाल विकास परियोजना कार्यालय मंझनपुर में आयोजित कार्यशाला के दौरान सीडीपीओ मंजू सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कहीं।
कार्यशाला में मंजू सिंह ने कहा कि कुपोषण की शुरूआत जन्म से पहले ही हो जाती है। अपरिवर्तनीय लक्षण जो जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव डालते हैं, इन्हें रोकने के लिए जल्द से जल्द इस कुपोषण को रोकना जरूरी है।
बच्चों को संक्रामक रोगों से कैसे बचाएं सुपरवाइजर पुष्पा देवी ने कहा कि कुछ संक्रामक रोग, जैसे दस्त, पेचिश, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया व पोलियो अशुद्ध पानी से होते है। इससे बचने के लिए शुद्ध पानी का पीना चाहिए। कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांव की महिलाओं को जागरूक करें, जिससे कुपोषण की दर में कमी आए। इस दौरान हसीन फात्मा, मधु, लता श्रीवास्तव, राजकुमारी, सरोजनी, उमा सिंह, रेनू आदि मौजूद रहीं। लक्ष्य पाना बेहद जरूरी
राष्ट्रीय पोषण रणनीति के तहत वर्ष 2022 तक भारत को कुपोषण मुक्त बनाना है। योजना के तहत बच्चों व महिलाओं को कुपोषण व संक्रामक से बचाने के लिए बेहतर प्रयास किया जा रहा है।