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ऐतिहासिक है दारानगर का कुप्पी युद्ध, रोमांच से सराबोर

रामलीला कार्यक्रम में विजयादशमी व एकादशी के दिन एक बड़े मैदान में राम सेना व रावण सेना इकट्ठी होती है जहां पर ऐतिहासिक कुप्पी युद्ध होता है। मैदान के एक तरफ पीले वस्त्रों में श्रीराम की सेना तथा दूसरी तरफ काले वस्त्रों में रावण की सेना के लोग रहते है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 11:33 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 11:33 PM (IST)
ऐतिहासिक है दारानगर का कुप्पी युद्ध, रोमांच से सराबोर
ऐतिहासिक है दारानगर का कुप्पी युद्ध, रोमांच से सराबोर

संसू, कड़ा : रामलीला कार्यक्रम में विजयादशमी व एकादशी के दिन एक बड़े मैदान में राम सेना व रावण सेना इकट्ठी होती है, जहां पर ऐतिहासिक कुप्पी युद्ध होता है। मैदान के एक तरफ पीले वस्त्रों में श्रीराम की सेना तथा दूसरी तरफ काले वस्त्रों में रावण की सेना के लोग रहते है। युद्ध संचालक का आदेश होते ही ऊंट के खाल से तैयार की गई विशेष प्रकार की कुप्पी का वार दोनों सेनाओं के महारथी एक दूसरे पर करते है। दो दिन तक चलने वाले इस कुप्पी युद्ध में श्रीराम की विजय के साथ ही युद्ध समाप्त की घोषणा कर दी जाती है। दारानगर की रामलीला में होने वाला यह ऐतिहासिक कुप्पी युद्ध पूरे भारत मे अकेला ऐसा जीवंत युद्ध होता है, जो मनाया है। इस युद्ध मे कभी-कभी सेनानी घायल भी हो जाते हैं, लेकिन इसे वरदान कहें या चमत्कार वह जल्द ठीक भी हो जाते हैं। पिछले साल यहां के कुप्पी युद्ध का लाइव प्रसारण भी किया गया था। शुक्रवार को दारानगर की रामलीला का मुकुट पूजन होगा।

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श्रीराम के सारथी बनते हैं अहमद मियां

संसू, कड़ा : दारानगर की ऐतिहासिक रामलीला का सबसे आकर्षक पहलू यह है कि यहां हिदू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग मिलकर पर्व को मनाते हैं। रामलीला कार्यक्रम में श्रीराम के रथ के सारथी का रोल गांव के ही अहमद मियां निभाते हैं। वहीं जब भगवान श्रीराम का विजय जुलूस मुस्लिम मोहल्ले से निकलता है तो शिया समुदाय के लोग भगवान का विधिवत पूजन करते हैं। यही कौमी एकता की मिसाल दर्शाती है।

आज मुकुट पूजा के साथ शुरू होगी रामलीला

विकास खंड कड़ा के प्राचीन कस्बा दारानगर की ऐतिहासिक रामलीला शुक्रवार से मुकुट पूजा के साथ प्रारंभ होगी, ज 27 अक्टूबर तक चलेगी। मुकुट पूजा कार्यक्रम चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर मानस मर्मज्ञ जगद्गुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के कर कमलों द्वारा अपराह्न चार बजे होगा। रामलीला का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता है। मंचन की खास बात यह है कि यहां रामलीला के लिए कोई मंच नही बनाया जाता। बल्कि प्रतिदिन अलग-अलग जगहों पर स्थलीय भूमि पर कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता है, जिसे स्थानीय ग्रामीण व आसपास के लोग मंचन का ²श्य देखकर भाव-विभोर होते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के तहत शासन द्वारा कोविड-19 के नियमों का पालन कर मंचन किया जाएगा। वर्तमान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आद्या प्रसाद पांडेय बताते हैं कि इस बार 241वीं रामलीला कार्यक्रम मनाया जाएगा। दारानगर में रामलीला मंचन कार्यक्रम का शुभारंभ 241 साल पहले गांव के पंडित विजय कुमार मिश्र ने किया था। तब से अनवरत रामलीला होती चली आ रही है।

कब और कहां होगा मंचन

कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि 12 दिन तक चलने वाली रामलीला में 16 अक्टूबर को मुकुट पूजन हनुमान मंदिर परिसर में, 17 अक्टूबर को विश्वामित्र यज्ञ व ताड़का वध शादीपुर के हनुमान मंदिर परिसर में, 18 अक्टूबर को गंगा पूजन कमंगलपुर थुलगुला में, 19 अक्टूबर को फुलवारी लीला म्योहरा गांव में, 20 अक्टूबर को धनुषयज्ञ लीला म्योहरा गांव में, 21 अक्टूबर को वनगमन की लीला फरीदगंज गांव में, 22 अक्टूबर को शूर्पणखा की नाक कटैया दारानगर स्थित टावर के पास, 23 अक्टूबर को सीता हरण की लीला दारानगर के ब्राह्मण टोला में, 24 अक्टूबर को लंका दहन की लीला म्योहरा गांव में, 25 अक्टूबर को विजयादशमी समेत छोटा दशहरा व कुप्पी युद्ध म्योहरा गांव में, 26 अक्टूबर को एकादशी बड़ा दशहरा व कुप्पी युद्ध म्योहरा गांव में, 27 अक्टूबर को भरत मिलाप दारानगर बाजार में, 28 अक्टूबर को श्रीराम राज्याभिषेक दारानगर बाजार में होगा। इसे देखने के लिए कई गांव के लोग इकट्ठा होते हैं।

बोले पदाधिकारी..

हर वर्ष की भांति इस बार भी बड़े उत्साह व उल्लास के साथ रामलीला कार्यक्रम कराया जाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण शासन द्वारा जारी कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए समस्त कार्यक्रम संपादित किए जाएंगे। प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा में अब काफी चीजें आधुनिकता की तरफ खिचती चली जा रही हैं। अब जगमग लाइट व साउंड में कार्यक्रम का मंचन किया जाता है।

-आद्या प्रसाद पांडेय कमेटी अध्यक्ष


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