सिराथू के नारा का गंभिया तालाब रहता है लबालब
पंकज करवरिया, नारा : नारा हमारा खित्त ए यूना से कम नहीं, गंभिया का पानी चश्म ए दरिया से कम नहीं। यह
पंकज करवरिया, नारा : नारा हमारा खित्त ए यूना से कम नहीं, गंभिया का पानी चश्म ए दरिया से कम नहीं। यह पंक्तियां सिराथू तहसील के नारा गांव के मशहूर शायर नूह नारवी ने दशकों से पहले लिखा था। उन्होंने अपने गांव के तालाब के बारे में लाइनें लिखी थी। वह अब नहीं है लेकिन उनकी यह लाइनें गांव वालों की जुबान पर हैं।
यह नहीं, गंभिया तालाब की खूबी ही कुछ ऐसी थी कि गांव के दूसरे शायर शायर मोहम्मद गनी ने अपनी कलम चला दी।लिखा है- कहते थे जिसको चश्म ए आबे हयात नूह, नारा अगर था जिस्म तो गंभिया थी उसकी रूह। हमराजे अहले इश्क थी और बेपनाह थी, अहले दिलों निगाह की यह सैर गाह थी। ये बात की है बात था पानी मे क्या असर, मुर्दे तो जिन्दा होते थे गंभिया को देखकर। ऐ मेरी आह तुझको अगर वो कहीं मिले, तुझसे ये इल्तेजा है कि उसे नारा भेज दे। उस तालाब के प्रति लिखी गई यह लाइनें ही उसे अमर बना दे रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यह तालाब करीब पांच बीघे का है। लेकिन अब इसमें कब्जे हो रहे हैं और खुदाई न होने से वह साल दर साल पटता जा रहा है। इसलिए पानी भी अब कम हो गया है। पहले साल भर पानी से यह लबालब रहता था। लेकिन पानी साल रहता है लेकिन बहुत कम। यहां ठीक होते थे सूखा रोग से बच्चे
एक दशक पहले तक गंभिया तालाब का पानी साफ रहता था। इसके प्रति मान्यता यह थी सूखा रोग से पीड़ति मरीज इसमें स्नान कर ले तो उनकी बीमारी ठीक हो जाती थी। पहले यहां पर स्नान के लिए भीड़ लगती थी। लेकिन बदले दौर में यह पटता जा रहा है और चारों से कब्जा हो रहा है। गांव भर की नाली का पानी इसमें बहाया जा रहा है इसलिए अब इसमें कोई नहीं नहाता है। इतना जरूर है कि साल भर पानी रहता है और पशु पक्षियों को राहत मिलती है। ग्रामीण बोले
- नारा गांव के तालाब ख्याति ऐसी थी वहां के शायन नूह नारवी ने उस शयरी ही लिख डाली। कभी इस तालाब में सूखा रोग ठीक होता था लेकिन अब कब्जा है।
- नसीरुद्दीन
- बड़ा तालाब होने के नाते साल भर पानी रहता है। इस तालाब की खुदाई और अवैध कब्जा हटवा दिया तो क्षेत्र के लोगों की जरूरतें यहां से पूरी होगी।
- मोहम्मद हनीफ
- यह तालाब गांव की शान है लेकिन अब इसकी बेकदरी हो रही है। न तो खुदाई हो रही है और न ही सफाई हो रही है। इसलिए अब यह गंदगी से पट गया है।
- मोती लाल
- अंग्रेजों के जमाने इस तालाब की खुदाई हुई थी। तब इस तालाब में कई नदियों का पानी लाकर डाला गया था। इसलिए इसमें स्नान करने से बीमारी ठीक होती थी।
- नरेंद्र नामदेव