Move to Jagran APP

परशुराम और लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन देख रोमांचित हुए दर्शक

नगर पंचायत में सोमवार की रात धनुष भंग व परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। जैसे ही श्री राम ने धनुष भंग किया पूरा पंडाल जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 11:47 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 11:47 PM (IST)
परशुराम और लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन देख रोमांचित हुए दर्शक
परशुराम और लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन देख रोमांचित हुए दर्शक

कौशांबी। नगर पंचायत में सोमवार की रात धनुष भंग व परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। जैसे ही श्री राम ने धनुष भंग किया पूरा पंडाल जय श्री राम के जयघोष से गूंज उठा।

prime article banner

लीला प्रसंगों के मुताबिक धनुष यज्ञ में जब दुनिया के कोने-कोने से आए राजा धुनष भंग न कर सके। इस पर राजा जनक दुखी होकर कहते है कि यदि उन्हें मालूम होता कि धरती वीरों से खाली है तो वह ऐसी प्रतिज्ञा कभी भी न करते है। लगता है अब उनकी बेटी सीता कुंवारी ही रह जायेगी। इतना सुनते ही लक्ष्मण जी क्रोधित हो उठते है। लक्ष्मण कहते है रघुवंशियों के रहते राजा जनक को ऐसी अनुचित बातें नही करनी चाहिए। यदि गुरु विश्वामित्र की आज्ञा मिल जाये तो इस धनुष की बात छोड़िए वह ब्रह्मांड को गेंद की भांति उठा सकते। सौ योजन तक लेकर दौड़ सकते है। कच्चे घड़े की तरह तोड़ सकते है। इसके बाद विश्वामित्र के इशारे पर श्रीराम जी उठते है। वह पल भर धनुष भंग कर देते है। धनुष टूटने की आवाज पर उसी भगवान परशुराम जी प्रकट हो जाते हैं। शिवजी का टूटा धनुष देखकर भगवान परशुराम आग बबूला हो गए। परशुराम जी चिल्लाकर बोले जिसने शिवजी का धनुष तोड़ा है। वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। इसलिए वह समाज से अलग हो जाए। वरना सभी राजा मारे जाएंगे। परशुरामजी के बचन सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुरा कर कर बोले कि बचपन मे हमने बहुत से धनुही तोड़ी है। तब आप इतना क्रोधित नही हुए। आखिर इस धनुष पर इतनी ममता क्यों है। इसके बाद श्री राम खड़े हुए। श्री राम ने कहा कि हे भृगुकुल शिरोमणि आप बालक पर क्रोध न करें। मैं आपका अपराधी हूं। मुझे जो भी दंड देना हो वह दीजिए। आप हर तरह हमसे बड़े है। आपका नाम भी हमारे नाम से बड़ा परशुराम है। जबकि हमारा नाम छोटा सा राम है। इस पर परशुराम जी संशय दूर करने के लिए अपना धनुष देते हुए कहते है कि राम रमापति करधनु लेहु, खैंचहु मोर मिटै संदेहू। श्री राम धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देते है। इसके बाद परशुराम चले जाते है। कार्यक्रम में रामलीला कमेटी अध्यक्ष संजय जयसवाल, रामजानकी ट्रस्ट के ट्रस्टी रमेश चंद शर्मा ,महामंत्री संजीत मोदनवाल , प्रबंधक ज्ञानू शर्मा, कोषाध्यक्ष बृजेश अग्रहरि, पवन शर्मा, पंकज शर्मा कल्लू राम चौरसिया आदि मौजूद रहे। धनुष तोड़ते ही सीता ने डाला वरमाला

नगर पालिका परिषद भरवारी के नया बाजार में हो रहे दस दिवसीय रामलीला के तीसरे दिन कलाकारों द्वारा परशुराम संवाद व धनुष यज्ञ की लीला कस मंचन किया गया। राजा जनक द्वारा पुत्री सीता के विवाह के लिए धनुष यज्ञ का स्वयंबर आयोजित किया, जिसमें सभी राजाओं को आमंत्रित किया गया। तथा राजा जनक द्वारा यह शर्त रखी गई। जो भी शिव धनुष को तोड़ देगा उसी के साथ पुत्री सीता का विवाह होगा। उक्त यज्ञ में ऋषि विश्वामित्र श्रीराम व लक्ष्मण को साथ लेकर पहुंच गये। वहां एक एक करके सभी राजा उक्त धनुष को उठाने का प्रयास किये लेकिन कोई भी उक्त धनुष को हिला तक न सके।

ऋषि विश्वामित्र राम को धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए इशारा किया। राम धनुष रखे स्थान पर पहुंचकर धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाकर तोड़ देते हैं। तभी सीता द्वारा राम के गले मे स्वयंबर की माला डाल देती है। इस अवसर पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुभाष कुमार गुप्ता, शंकर लाल, संतोष सोनी, अरुण कुमार बच्चा, सुधीर केसरवानी व जीतू सहित स्थानीय लोग उपस्थित रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK