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पौधरोपण के नाम पर खेल, बीडीओ ने शुरू कराई जांच

जासं, कौशांबी : पर्यावरण के संरक्षण के नाम पर जनपद में महज खानापूर्ति की जा रही है। स्वच्छता कायम करने के नाम पर बारिश के दिनों में सड़कों की किनारे व ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर पौधरोपण कराया गया है। जनपद वासियों की मानें तो पौधरोपण के नाम पर हेराफेरी की गई है। कुछ ग्राम पंचायतों में बगैर पौधरोपण कराए ही हजारों का भुगतान मनरेगा से कर लिया गया है। शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 09:13 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 09:13 PM (IST)
पौधरोपण के नाम पर खेल, बीडीओ ने शुरू कराई जांच
पौधरोपण के नाम पर खेल, बीडीओ ने शुरू कराई जांच

जासं, कौशांबी : पर्यावरण के संरक्षण के नाम पर जनपद में महज खानापूर्ति की जा रही है। स्वच्छता कायम करने के नाम पर बारिश के दिनों में सड़कों की किनारे व ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर पौधरोपण कराया गया है। जनपद वासियों की मानें तो पौधरोपण के नाम पर हेराफेरी की गई है। कुछ ग्राम पंचायतों में बगैर पौधरोपण कराए ही हजारों का भुगतान मनरेगा से कर लिया गया है। शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई है।

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पर्यावरण को स्वच्छ बचाने के लिए सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च कर रही है। इसके लिए वन विभाग और ग्राम पंचायतों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था। शासन के निर्देश पर जुलाई माह में दस लाख पौधे लगाने का अभियान भी चलाया गया है। इसमें काफी गड़बड़ी की गई है। ग्राम विकास खंड सिराथू क्षेत्र की ग्राम पंचायत तेरहरा, रमसाहीपुर, मीठेपुर सराया, विकास खंड मंझनपुर क्षेत्र की देवरा, ओसा, छिकतपुर आदि शामिल है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने खंड विकास अधिकारी से की थी। शिकायत के आधार पर जांच भी शुरू करा दी गई है। बगैर एनओसी के चल रहे ईंट भट्ठे

जनपद में करीब 270 ईंट भट्ठे संचालित है। भट्ठों को संचालित करने के नाम पर पर्यावरण विभाग से एनओसी लेने का प्रावधान है, लेकिन जिले में कई भट्ठे बगैर एनओसी के चलाए जा रहे है। ईंट भट्ठों से निकलने वाले धुआं से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है, जिसकी वजह से पर्यावरण दूषित हो रहा है। कचरा निस्तारण की नहीं व्यवस्था

जिले की नगर पंचायतों व ग्रामीण क्षेत्र से निकलने वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। इसकी वजह से लोगों के घरों से निकलने वाले कचरे को बस्ती के बीच फेंक दिया जाता है। इससे कस्बे व गांवों के बीच गंदगी रहती है। साथ ही वहां का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। इसकी शिकायत कस्बे के लोगों ने चेयरमैन और ईओ से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।


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