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साल भर में बन गया क्रांतिकारी दुर्गा भाभी की याद में स्मृति भवन

जागरण टीम, कौशांबी : स्वतंत्रता आंदोलन में कौशांबी (पूर्व में इलाहाबाद) जनपद के शहजादपुर गांव की बेटी दुर्गा भाभी का विशेष योगदान था। उनकी याद में उनके गांव में एक साल में ही स्मृति भवन बन कर तैयार हो गया। पिछले साल विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने इसकी घोषणा की थी। गुरुवार सुबह राज्यपाल राम नाईक ने नवनिर्मित भवन का फीता काटकर उद्घाटन किया तो हर किसी को सुखद अनुभूति हुई। राज्यपाल ने दुर्गा भाभी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन भी अर्पित किए। साथ ही जनपद मुख्यालय मंझनपुर में तीन करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय का शिलान्यास भी किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 09:02 PM (IST)
साल भर में बन गया क्रांतिकारी दुर्गा भाभी की याद में स्मृति भवन
साल भर में बन गया क्रांतिकारी दुर्गा भाभी की याद में स्मृति भवन

जागरण टीम, कौशांबी : स्वतंत्रता आंदोलन में कौशांबी (पूर्व में इलाहाबाद) जनपद के शहजादपुर गांव की बेटी दुर्गा भाभी का विशेष योगदान था। उनकी याद में उनके गांव में एक साल में ही स्मृति भवन बन कर तैयार हो गया। पिछले साल विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने इसकी घोषणा की थी। गुरुवार सुबह राज्यपाल राम नाईक ने नवनिर्मित भवन का फीता काटकर उद्घाटन किया तो हर किसी को सुखद अनुभूति हुई। राज्यपाल ने दुर्गा भाभी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन भी अर्पित किए। साथ ही जनपद मुख्यालय मंझनपुर में तीन करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय का शिलान्यास भी किया।

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हमेशा खुला है राजभवन का द्वार

राज्यपाल का कहना था कि सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए वर्तमान सरकार संकल्पित है। उनके लिए राजभवन का द्वार हमेशा खुला है। बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में बतौर पेट्रोलियम मंत्री उन्होंने कारगिल शहीदों के परिजन को उन्होंने एक-एक पेट्रोल पंप दिया था। कार्यक्रम के संयोजक स्थानीय सांसद विनोद सोनकर ने राज्यपाल के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम में आकर जनपद के पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों का मान बढ़ाया है। दुर्गा भाभी और लियाकत अली को श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुए सांसद ने कहा कि जनपद कौशांबी धरोहरों की भूमि है। भगवान राम, भगवान बुद्ध, जैन और शक्तिपीठ मां शीतला यही हैं। कौशाम्बी महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनपद को बुद्ध व रामायण सर्किट से जोड़ने की घोषणा की है। ऐतिहासिक पौराणिक व पर्यटक स्थलों के विकास की कार्ययोजना बनाई गई है। स्थानीय सांसद ने जिले में विश्वविद्यालय खोलने की मांग रखी। उन्होंने कौशांबी महोत्सव के समय प्रकाशित पुस्तक की प्रति व प्रतीक चिह्न देकर राज्यपाल को सम्मानित किया। समारोह में राज्यपाल राम नाईक ने भूतपूर्व सैनिकों व दिवगंत सैनिकों की पत्नियों के साथ साथ आश्रितों को सम्मानित किया। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जिले के पांच सैनिकों की विधवाओं को वीर नारी पुरस्कार दिया।

समाधान को उपयुक्त मंच होगा उपलब्ध

सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास निदेशक ब्रिगेडियर अमूल्य मोहनजी ने पूर्व सैनिकों को दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र किया। कहा कि मंझनपुर में जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय बनने से पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध हो जाएगा। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने महामहिम राज्यपाल को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। पूर्व सैनिकों को जिला प्रशासन द्वारा आवंटित पट्टे के स्वीकृत पत्र भी वितरित किए गए। राज्यपाल ने हनुमत चरित्र पर प्रकाशित पुस्तक के अलावा अन्य दो अन्य पुस्तकों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम का संचालन आद्या पांडेय ने किया। सिराथू के विधायक शीतला प्रसाद उर्फ पप्पू पटेल ने आभार जताया। आयोजन में मंझनपुर के विधायक लाल बहादुर, जिला भाजपा अध्यक्ष रमेश पासी, पूर्व जिलाध्यक्ष उदयन ¨सह, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल महानन्द रथ, पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता, मुख्य विकास अधिकारी इंद्रसेन ¨सह, योगेश मौर्या, राजेंद्र पांडेय, पुष्पा देवी, रियाज अहमद, श्रीधर मिश्रा, सुरेंद्र त्रिपाठी, यशपाल केसरी, जयचंद्र मिश्रा, संतोष पटेल, अजय त्रिपाठी, अर¨वद द्विवेदी, ¨पटू द्विवेदी, अजय पटेल, भाष्कर तिवारी, प्रशांत केशरी, कमल ¨सह कुशवाहा, उधव श्याम वर्मा, दिनेश पांडेय, अनिल शर्मा, जगदीश सरोज, रमेश पटेल, परमजीत ¨सह, सुधीर केसरवानी, गुलाब चंद्र, सीता सरण, शिवकांत मिश्रा, पंचमी पंडा आदि की उपस्थित उल्लेखनीय रही।

इनसेट बाक्स

राज्यपाल से सम्मानित सैनिक व उनकी पत्नियां

लांस नायक महेन्द्र प्रताप ¨सह की पत्नी संगीता यादव, लांसनायक सूर्य प्रसाद मिश्र की पत्नी जावित्री देवी, सूबेदार सूर्यबली ¨सह यादव की पत्नी अनुराधा देवी, पूर्व सैनिक राजकरन त्रिपाठी की पत्नी केला देवी और (सुशीला देवी) शामिल हैं। कारगिल युद्ध में अपना शौर्य दिखाने वाले सूबेदार मदन ¨सह निवासी ग्राम चक बादशाहपुर चायल इलाहाबाद, हवलदार अतर ¨सह निवासी ग्राम लालपुर कसिया व तहसील मंझनपुर के नारा निवासी हवलदार दशरथ लाल भी सम्मानित किए गए। द्वितीय विश्व युद्ध के तीन पूर्व सैनिकों की पत्नियां भी सम्मानित की गईं। पूर्व सैनिक लांसनायक राम निहोरे निवासी ग्राम व पोस्ट टेवां की पत्नी शांति देवी, पूर्व सैनिक मोहम्मद अहमद निवासी असदउल्ला रोही-भरवारी की पत्नी नफीशा बानों और ग्राम संभुई दारानगर निवासी पूर्व सैनिक शब्बीर हुसैन की पत्नी नूर फातमा। इनसेट

पैतृक घर की नहीं बदली तस्वीर

संसू, टेढ़ीमोड़ : वीरांगना दुर्गा भाभी की याद में बने स्मारक का गुरुवार को राज्यपाल ने उद्घाटन किया लेकिन उनके पैतृक आवास की तस्वीर ज्यों का त्यों बनी रही। घर की बाहरी दीवारों पर प्रशासन ने रंग-रोगन कराया पर भीतर हालात जस के तस रहे।

सिपाही की पत्नी को मिलने से रोका

शहीदों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे राज्यपाल राम नाईक से अंबाई बुजुर्ग गांव निवासी वर्षा यादव पत्नी आरक्षी शिवबरन ¨सह यादव नहीं मिल सकीं। अफसरों ने उसे गुहार लगाने का मौका नहीं दिया। वर्षा ने बताया कि उनके पति उत्तर प्रदेश पुलिस में आरक्षी थे। दो वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। वह मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए चक्कर काट रही हैं। अब तक कोई मदद नहीं मिली। भगत सिंह, आजाद की मददगार थीं दुर्गाभाभी

कौशांबी। दुर्गा भाभी ने आजादी की लड़ाई में भगत ¨सह, राजगुरु, चंद्रशेखर आदि का सहयोग किया। सिराथू तहसील क्षेत्र में गंगा किनारे आबाद गांव शहजादपुर में सात अक्टूबर 1902 को दुर्गा भाभी का जन्म हुआ था। पिता पंडित बांके बिहारी इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन में थानेदार। इनके दादा पंडित शिव शंकर शहजादपुर के जमीदार थे। जब दुर्गा 10 वर्ष की थीं, तभी उनका विवाह लाहौर निवासी भगवती चरण वोहरा के साथ हुआ था। उनके ससुर शचींद्र वोहरा रेलवे में ऊंचे पद पर थे। अंग्रेजों ने उन्हें राय साहब का खिताब दिया था। राय साहब का पुत्र होने के बावजूद भगवती चरण वोहरा अंग्रेजों की दासता से देश को मुक्त कराना चाहते हैं। वह क्रांतिकारी संगठन में प्रचार सचिव थे। वर्ष 1920 में पिता की मृत्यु के बाद भगवती चरण वोहरा आजादी की लड़ाई में कूद गए। बम के परीक्षण के दौरान 28 मई 1930 में उनका (भगवती चरण वोहरा का) निधन हो गया था। दुर्गा भाभी का निधन 14 अक्टूबर 1999 को हुआ।

जनरल वीके ¨सह ने की थी स्मृति भवन की घोषणा : क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के गांव में स्मृति भवन बनाने की घोषणा पिछले सात 17 अगस्त को विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके ¨सह ने की थी। स्मृति भवन के निर्माण और आसपास नाली खड़ंजा पर 30 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें दुर्गा भाभी से जुड़े बातों की वॉल पे¨टग की गई हैं। साथ ही अब तक हुए कार्यक्रमों की चित्र प्रदर्शनी भी है। गांव में ही दो लाख रुपये की लागत से एक चबूतरा बनवाया गया है।


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