रणभूमि में श्रीराम की सेना भगवा रंग का वस्त्र धारण करेगी सजीव युद्ध, दारानगर में होगा कुप्पी युद्ध का आयोजन
जनपद के दारानगर में अनोखे तरीके से दशहरा पर्व मनाया जाता है। ये परंपपरा 242 वर्ष से चली आ रही है। विजया दशमी व एकादशी के दिन राम दल व रावण सेना के बीच सजीव युद्ध होगा। दोनों दलों के बीच हो रहे कुप्पी युद्ध की वजह से दारानगर की छाप पूरे में प्रदेश में हैं। इसे देखने के लिए गैर जनपद के लोग भी पहुंचते हैं।
कौशांबी। जनपद के दारानगर में अनोखे तरीके से दशहरा पर्व मनाया जाता है। ये परंपपरा 242 वर्ष से चली आ रही है। विजया दशमी व एकादशी के दिन राम दल व रावण सेना के बीच सजीव युद्ध होगा। दोनों दलों के बीच हो रहे कुप्पी युद्ध की वजह से दारानगर की छाप पूरे में प्रदेश में हैं। इसे देखने के लिए गैर जनपद के लोग भी पहुंचते हैं।
सिराथू तहसील क्षेत्र की नगर पंचायत दारानगर की रामलीला का अलग महत्व है। यहां पर 242 वर्ष पूर्व गांव के लोगों ने भी रामलीला के मंचन व कुप्पी युद्ध शुरू कराया था। जो चलता आ रहा है। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आद्या प्रसाद पांडेय ने बताया कि कुप्पी युद्ध म्योहरा गांव के गिरधरपुर गढ़ी गांव के मैदान में शुक्रवार व शनिवार को कराया जाएगा। दो दिवसीय कुप्पी युद्ध विजयादशमी के दिन तीन चक्रों में तथा एकादशी के दिन चार चक्रों में राम व रावण सेना के बीच युद्ध होगा। हर चक्र में 10 मिनट तक लड़ाई होगी और इस दौरान दोनों दल से 20-20 सदस्य शामिल होंगे। रणभूमि में राम दल की सेना भगवा रंग का वस्त्र धारण करेगी और रावण दल की सेना काला वस्त्र धारण करेगी। युद्ध में पांच संचालक रहेंगे। जिनकी सीटी बजते ही दोनों दलों के लोग एक-दूसरे पर प्लास्टिक की कुप्पी से मार करने लगेंगे। युद्ध का विराम सीटी बजने के साथ होगा। यहां पर हिदू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग उपस्थित रहेंगे और आपसी सौहार्द व भाई चारा के साथ दशहरा पर्व मनाएंगे। घायलों के लिए रामबाण रणभूमि की मिट्टी
दारानगर के ऐतिहासिक रामलीला के गढ़ी रणभूमि की मिट्टी युद्ध के दौरान घायल हुए लोगों के लिए रामबाण है। दोनों सेनाओं के बीच होने वाले युद्ध के दौरान घायल हुए सेनानियों को यहां की मिट्टी लगाई जाती है। इस मिट्टी से न सिर्फ रक्तश्राव बंद होता है बल्कि उनके जख्मों के निशान भी भर जाते हैं।