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सचिवों ने कहा, जनसंख्या के आधार पर मिले गांव

ग्राम पंचायत सचिवों ने अपनी समस्याओं को लेकर रविवार को ब्लाक परिसर में बैठक की। इस दौरान उन्होंने तमाम सरकारी कार्यों में अधिकारियों द्वारा जबरन दोषी बनाए जाने और फिर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 10:52 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 10:52 PM (IST)
सचिवों ने कहा, जनसंख्या के आधार पर मिले गांव
सचिवों ने कहा, जनसंख्या के आधार पर मिले गांव

जासं, कौशांबी : ग्राम पंचायत सचिवों ने अपनी समस्याओं को लेकर रविवार को ब्लाक परिसर में बैठक की। इस दौरान उन्होंने तमाम सरकारी कार्यों में अधिकारियों द्वारा जबरन दोषी बनाए जाने और फिर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है।

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बैठक की अध्यक्षता करते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी संघ जिलाध्यक्ष अरविद सिंह ने कहा कि इन दिनों अधिकारियों के बीच ग्राम पंचायत सचिव मोहरा बनकर रह गए हैं। किसी भी प्रकार की समस्या हो, इसके लिए सचिव को ही दोषी माना जाता है। सचिवों को जबरन एक साथ कई गांव में तैनात कर दिया जाता है। लिहाजा उनके पास वर्कलोड अधिक हो जाने से वह परेशान रहते हैं। गांव का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर कलस्टर बनाकर किया जाना चाहिए। कहा कि शौचालय निर्माण की धनराशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाती है। निर्माण की जिम्मेदारी भी लाभार्थी की होती है। ऐसे में उसके काम के लिए सचिवों को जिम्मेदार मानकर कार्रवाई हो रही है, जो गलत है। बताया कि इस प्रकार मनरेगा एक मांग आधारित कार्य है। इसमें कोई काम नहीं करता तो इसके लिए सचिव को जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की जा रही है, यह गलत है। ऐसी कार्यशैली पर अंकुश लगना चाहिए, जिससे सचिव को शोषण न हो सके। उन्होंने कहा कि जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जिम्मेदार अधिकारी केवल नियमानुसार कार्रवाई करें, लिख कर अपने दायित्व से न बचें। इस प्रकार की प्रवृत्ति पर रोक लगाना चाहिए। जिम्मेदार स्पष्ट आदेश करें और प्रमाण पत्र उनके माध्यम से जारी किया जाए। महामंत्री मोहम्मद नसर ने कहा कि तमाम सचिव को अनंतिम रूप से बहाली दी गई है। उनको पूरी तरह से बहाल किया जाए। इसके साथ गोशाला को लेकर प्रत्येक पशु के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के भुगतान का प्रावधान है, यह बेहद कम है। बताया कि यदि किसी गोशाला में 75 पशु हैं तो वहां देखरेख करने वाले को 200 रुपये प्रतिदिन की दर से भी भुगतान नहीं मिल पाता। इसको लेकर स्पष्ट आदेश होना चाहिए कि मवेशियों की देखरेख करने वालों को कितना भुगतान किया जाएगा। बैठक के दौरान सचिवों ने अन्य कई समस्याओं को लेकर भी चर्चा की। इस मौके पर सुरेश मौर्य, पंकज मौर्य, मुकेश कुमार गुप्ता, कृष्ण स्वरुप झा, अखिलेश सोनी, रामकृत राम, सुशील कुमार सिंह, चेतन कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।


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