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आरटीआइ का मजाक बनाने वाले छह सचिव का रोका वेतन

चायल : सूचना के अधिकार के तहत गांव में हुए विकास कार्यो को लेकर मांगी गई जानकारी नहींदी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 11:19 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 11:19 PM (IST)
आरटीआइ का मजाक बनाने वाले छह सचिव का रोका वेतन
आरटीआइ का मजाक बनाने वाले छह सचिव का रोका वेतन

चायल : सूचना के अधिकार के तहत गांव में हुए विकास कार्यो को लेकर मांगी गई जानकारी को देने में छह गांव के सचिव ने लापरवाही की है। एक माह में जवाब नहीं मिलने पर सूचना मांगने वाले ने द्वितीय अपील कर दी। सीडीओ ने सभी सचिवों को समय से जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया। इसके बाद भी सूचना नहीं दी। सीडीओ ने निर्देश दिया कि सूचना देने के बाद ही सचिवों को वेतन मिलेगा।

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सूचक व ग्रामीणों का आरोप है कि जनपद के छह गांव में कराए गए विकास कार्यों में गड़बड़ी व नाली, शौचालय, आवास व इंटर लॉ¨कग में हेराफेरी की गई है। गांव में दो वर्ष के बीच कराए गए विकास कार्यो का ब्यौरा संबंधित सचिवों से मांगा था। एक माह बीतने इसके बाद भी सूचना नहीं दी गई। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने मुख्य विकास अधिकारी हीरालाल से की थी। इस पर सीडीओ ने सभी सचिवों को जानकारी देने का निर्देश दिया। सचिवों ने आदेश को दर किनार कर दिया गया। सीडीओ ने डीपीआरओ व डीडीओ को निर्देश दिया है कि संबंधित सचिवों के वेतन सूचना न देने तक रोक दिया जाए। सीडीओ ने बताया कि इस प्रकार की लापरवाही को गांव स्तर पर रोका जा सकता था, लेकिन सचिवों की गलती के कारण जिले के अधिकारियों को समस्या हो यह सही नहीं है। इस प्रकार के मामले को गांव में ही निपटा लेना चाहिए।

इनका रोका गया वेतन

- नेवादा विकास खंड के भगवानपुर निवासी ऊषा देवी ने सचिव अजय कुमार से गांव में कराए गए विकास कार्यो की जानकारी सूचना के अधिकार से मांगी है। जिसमें उन्होंने वर्ष 2014 से लेकर अब तक राज्य वित्त व 13वें और 14वें वित्त से किए गए कार्यो की जानकारी मांगी। सचिव की ओर से इसकी जानकारी अब तक नहीं दी गई। सैयदसरावां गांव के सचिव अमरनाथ से मो. नसर व रहीश ने विकास कार्यों के संबंध में जानकारी मांगी। एक माह की अवधि बीतने के बाद भी सचिव की ओर से जानकारी नहीं ही गई। नसीरपुर गांव के सचिव आशीष कुमार, मंझनपुर ब्लाक के सचिव मो नशद से गांव के लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत गांव में वर्ष 2012-13 के बाद से हुई नाली खड़ंजा के निर्माण व उनपर हुए खर्च के संबंध में जानकारी मांगी। तय समय बीत जाने के बाद भी उनको जानकारी नहीं मिल सकी।


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