बजरंगबली की चौकी के साथ सजधज कर निकला रामदल
नगर पालिका परिषद भरवारी के पुराने बाजार में चल रहे दशहरा मेले में बुधवार को रावण वध हुआ। इसमें अलावा देवताओं की रंग रंगबिरंगी आकर्षक झांकियां भी निकाली गई। बजरंगबली के चौकी के साथ सजधज कर निकले रामदल को लोगों ने स्वागत किया।
ससूं, भरवारी : नगर पालिका परिषद भरवारी के पुराने बाजार में चल रहे दशहरा मेले में बुधवार को रावण वध हुआ। इसमें अलावा देवताओं की रंग रंगबिरंगी आकर्षक झांकियां भी निकाली गई। बजरंगबली के चौकी के साथ सजधज कर निकले रामदल को लोगों ने स्वागत किया।
भरवारी में मेला के प्रथम दिन पुरानी बाजार हनुमान मंदिर के पास से रोशनी में बाजे गाजे के बीच बजरंगबली की चौकी निकाली गई। सजधज कर रामदल निकलकर रावण मैदान पहुंचा जहां राम व रावण युद्ध के बाद रावण मारा गया तथा राम की विजय हुई। वहां पर उपस्थित जन समूह ने जय श्रीराम के जयकारे लगाया। मेला कमेटी के पूर्व जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार गुप्ता, चायल विधायक संजय कुमार गुप्ता, रमेश चंद्र अग्रहरि, मनोज कुमार केसरवानी, पूर्व चेयरमैन कैलाश चंद्र केसरवानी ने बजरंगबली की पूजा व आरती की। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया। सुरक्षा के लिए थानाध्यक्ष कोखराज अजीत कुमार पांडेय व चौकी प्रभारी भरवारी मनोज राय मेला के दौरान निगरानी में बने रहे। चौकी के साथ जगदीश शिवहरे, यशपाल केशरी, सुरेश चंद्र अग्रहरि,अशोक कुमार, अरुण कुमार, वीरेंद्र कुमार, शंकर लाल, कृष्ण कुमार खुट्टी लाला, पूर्व प्रधान बादशाह उपस्थित रहे। मीना बाजार में महिलाओं ने की खरीदारी
मेला के दूसरे दिन हर वर्ष की तरह इस बार भी महिलाओं के लिए मीना बाजार लगाया गया था। जहां महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। इस दौरान दोपहर में तीन घंटे के लिए मेला के अंदर पुरुषों का प्रवेश वर्जित रहा। तथा निगरानी के लिए मीना बाजार के आसपास सादी वर्दी में महिला पुलिस तैनात रहीं।
रावण का वध करते ही गूंजा जय श्रीराम
संसू, करारी : नगर पंचायत करारी स्थित रामलीला महोत्सव में की रात मेघनाद व रावण वध की लीलाओं का मंचन किया गया। जिस समय राम ने रावण का वध किया। पूरा पंडाल जय श्री राम के उद्घघोष से गूंज उठा।
युद्ध क्षेत्र में मेघनाद व लक्ष्मण का भयावह संग्राम हुआ। लक्ष्मण ने मेघनाद को सुरलोक पहुंचा दिया। मेघनाद के मारे जाने के बाद उसकी पत्नी सती सुलोचना रोते-बिलखते भगवान श्री राम के पास पहुंची। भगवान श्री राम ने सम्मान सहित मेघनाद का शव सुलोचना को सौंप दिया। इसके बाद रावण युद्ध के मैदान में आया। रावण से राम का युद्ध हुआ लेकिन रावण मर ही नहीं रहा था। विभीषण ने श्री राम को बताया कि रावण के नाभि में अमृत है। इसलिए रावण के नाभि में वाण चलाएं। राम ने जैसे ही रावण की नाभि में वाण चलाया। रावण भी वीरगति को प्राप्त हुआ। रावण के मरते ही पूरा पंडाल जय श्री राम के उद्घघोष से गुंजायमान हो गया। इसके बाद हनुमानजी माता सीता को प्रभु श्रीराम से मिलवाया। सीता की अग्नि परीक्षा ली गई। मां सीता अग्नि परीक्षा में सफल हुई। राम ने अपने वचन के मुताबिक विभीषण को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लंका का राजा बनाया।