रामकथा ने दिलाई रत्नावली को अंतरराष्ट्रीय पहचान
जासं कौशांबी रामकथा का 220 देशों में सीधा प्रसारण किया जा रहा है। कथा के आयोजन से इस स्थान की चर्चा विदेशों में हो रही है। यमुनाघाट स्थित बसा महेवाघाट गांव काफी पिछड़ा हुआ है। यमुना का तराई क्षेत्र होने से अधिकतर लोग बालू की लोडिग कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
जासं, कौशांबी : रामकथा का 220 देशों में सीधा प्रसारण किया जा रहा है। कथा के आयोजन से इस स्थान की चर्चा विदेशों में हो रही है।
यमुनाघाट स्थित बसा महेवाघाट गांव काफी पिछड़ा हुआ है। यमुना का तराई क्षेत्र होने से अधिकतर लोग बालू की लोडिग कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। गांव के रामभवन का कहना है कि वह उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं। ऐसी कथा का आयोजन उन्होंने नहीं देखा। श्रीपाल ने बताया कि दो दशक पूर्व तुलसी धाम राजापुर में भी राष्ट्रीय संत मुरारी बापू की कथा हुई थी। तब कथा को सुनने के लिए हर दिन जाते थे। इस बार भी कथा को सुनने के लिए हर दिन पंडाल में पहुंचेगे। वृद्ध रामस्वरूप का कहना है कि मोरारी बापू का नाम सुना था। आज उनकी कथा भी सुन ली कथा सुनने से मन प्रभु की भक्ति में लीन हो गया।
--
यमुना घाट तक बन गई पक्की सड़क
महेवाघाट में कथा के आयोजन से भगवान के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई है। साथ ही गांव का विकास भी हुआ है। संजय कुमार की माने तो पहले महेवाघाट ऊपरहार चौराहे गांव की ओर से यमुना घाट तक जाने वाला कच्चा रास्ता था। इससे बारिश के दिनों में लोगों को परेशानी होती थी। रास्ते में बालू का रेत अधिक होने के कारण चार पहिया वाहनों का आना-जाना नहीं हो पाता था। कथा के आयोजन को लेकर महेवा घाट ऊपरहार चौराहा से यमुना घाट तक पक्की सड़क का निर्माण हो गया है। इससे स्थानीय लोगों को काफी राहत मिलेगी।
--
2000 लोगों को मिला रोजगार
महेवा घाट स्थित रत्नावली नगरी में राम कथा के आयोजन से हजारों लोगों का जमावड़ा रहता है। भक्तों की भीड़ अधिक होने की वजह से कथा पंडाल के बाहर स्थानीय लोगों ने चाय- नाश्ते व अन्य सामग्री की दुकान लगा ली है। यही नहीं कुछ लोगों को संस्थान ने आने वाले भक्तों की सेवा करने के लिए लगा लगा लिया है। इसके बदले में उन्हें रुपये भी मिलते हैं। ग्रामीणों की माने तो कथा के आयोजन से लगभग दो हजार लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
बच्चों में दिखा सेवा भाव
गांव के लोगों में सेवा भाग दिखने लगा है। मोरारी बापू की रामकथा को सुनने के लिए शनिवार की दोपहर लगभग तीन बजे ई- रिक्शा से कुछ श्रद्धालु पहुंचे, जिन्हें देखकर गांव के कई बच्चे उनके पास पहुंच गए और उनके सामान को उतारा और उन्हें कथा स्थल तक ले गए। बच्चों की आंखों में सेवा भाव झलक रही थी। दूरदराज से आने वाले भक्तों का स्वागत ग्रामीण कर रहे हैं।