एक रसोई में पक रहा 80 हजार भक्तों का प्रसाद
जासं कौशांबी रामकथा का रसास्वादन करने के बाद देश-विदेश से आए करीब 80 हजार श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद एक ही रसोई में तैयार हो रहा है। इसमें गुजरात से 200 रसोइयों व कारीगरों को बुलाया गया है।
जासं, कौशांबी :रामकथा का रसास्वादन करने के बाद देश-विदेश से आए करीब 80 हजार श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद एक ही रसोई में तैयार हो रहा है। इसमें गुजरात से 200 रसोइयों व कारीगरों को बुलाया गया है।
इस हाईटेक किचेन में विदेशी मेहमानों के लिए विशेष व्यवस्था है। आम श्रद्धालुओं के लिए भी टेबल रखी गई हैं जहां पांच हजार श्रद्धालु एक साथ बैठकर भोजन कर सकते हैं। खास बात यह है कि प्रभु प्रसाद का रोज मेन्यू बदलेगा।
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खोवा व पनीर भी खुद कर रहे तैयार
प्रभु प्रसाद के लिए हजारों किलो खोवा व पनीर भी खुद तैयार किया जा रहा है। इसके लिए भी गुजरात से प्रशिक्षित लोग आए हैं। भोजन तैयार करने के लिए चार हिस्सों में व्यवस्था को बांटा गया है। प्रथम हिस्से में किचन है जिसमें भोजन पकाने की व्यवस्था है। दूसरे हिस्से में बर्तन साफ करने की व्यवस्था है। तीसरे हिस्से में स्टोर बनाया गया है जहां हजारों कुंतल आटा, चावल, चीनी, घी, तेल मसाले आदि सामान रखा गया है। एक हजार एनआरआइ आए
मोरारी बापू की रामकथा सुनने के लिए यूके, आस्ट्रेलिया कनाडा जैसे देशों में एक हजार प्रवासी भारतीय आए हुए हैं। ये प्रवासी भारतीय वीवीआइपी कॉटेज में ठहराए गए हैं। इनमें गर्मी से बचने के लिए एसी भी लगाए गए हैं। रामकथा सुनने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 15 हजार कॉटेज तैयार किए गए हैं। खुद की है बिजली व्यवस्था
बापू की रामकथा के लिए खुद की बिजली व्यवस्था की गई है। सरकार की ओर से वहां बिजली व्यवस्था नहीं दी जा सकी है। बिजली पहुंचाने में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए रामकथा आयोजित करने वाली संत कृपा सनातन संस्थान ने खुद की बिजली व्यवस्था की है। व्यवस्थापक मदन पालीवाल ने बड़े बड़े जनरेटर लगा रखे हैं जिससे रत्नावली नगरी जगमग हो उठी है। रेत पर तैयार किए गए विशेष पंडाल और उनकी सजावट देखते ही बन रही है।
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50 गांवों से निश्शुल्क चल रही बसें
श्रद्धालुओं को रामकथा सुनाने के लिए आसपास के 50 गांवों से 50 बसों का निश्शुल्क संचालन किया जा रहा है। इसका मकसद सिर्फ यही है कि रामकथा का श्रद्धालु रसास्वादन करें। रामकथा में किसी भी सुविधा के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है।
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एक भी नहीं है दान पेटिका
रामकथा स्थल में कहीं भी दानपेटिका नहीं रखी गई है। आयोजकों का कहना है कि हमारा मकसद किसी भी श्रद्धालु से एक भी रुपया चंदा या दान लेना नहीं है। मोरारी बापू का मकसद भी सिर्फ लोगों में आनंद बांटना है और हम उसी का अनुपालन कर रहे हैं। अगर कोई भी श्रद्धालु रामकथा में दान करना चाहता है तो विनम्रतापूर्वक मना किया जाता है।
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भंडारे का अनाज वापस नहीं जाएगा
आयोजन में लगे जेपी माली ने बताया कि भंडारे में जो भी कुछ आया है यहीं खत्म होगा। यह बापू की परंपरा है। यहां से कुछ भी बचकर वापस नहीं जाएगा। कथा समाप्त होने के बाद जो भी अनाज आदि बचेगा आसपास के गरीबों में बांट दिया जाएगा।