जन्मजात कुपोषित बच्चे को चिकित्सकों ने दी ¨जदगी
जासं, कौशांबी : नवजात की सांसें तो चल रही थीं, लेकिन वह इतना कमजोर था कि उसकी ¨जदगी का कोई भरोसा नहीं था। इसको लेकर उसके परिवारिक जन काफी परेशान थे। चिकित्सकों के प्रयास से अब बच्चा खतरे से बाहर है। इसके बाद भी चिकित्सकों की टीम हर सप्ताह बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है।
जासं, कौशांबी : नवजात की सांसें तो चल रही थीं, लेकिन वह इतना कमजोर था कि उसकी ¨जदगी का कोई भरोसा नहीं था। इसको लेकर उसके परिवारिक जन काफी परेशान थे। चिकित्सकों के प्रयास से अब बच्चा खतरे से बाहर है। इसके बाद भी चिकित्सकों की टीम हर सप्ताह बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है।
कुपोषण के खात्मा के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है। बच्चों व महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए जननी एवं शिशु सुरक्षा योजना भी चलाई जा रही है, लेकिन जागरूकता के अभाव में महिलाएं व बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंझनपुर क्षेत्र के गौसपुर टिकरी निवासी पूजा देवी पत्नी सुनील कुमार एक माह पूर्व 1,200 किलोग्राम के अति कुपोषित बच्चे को जन्म दिया। बच्चे की सांसें तो चल रही थीं लेकिन उसका वजन काफी कम था, जिसको लेकर चिकित्सक काफी परेशान थे। चिकित्सकों की मानें तो 1,800 किलोग्राम से कम वजन के बच्चे को बचाना काफी मुश्किल होता है। इसके बावजूद मंझनपुर पीएचसी प्रभारी डॉ. अरुण पटेल व स्वास्थ्य कर्मियों ने कुपोषित बच्चे के परिवार को बच्चे को बचाने का आश्वासन दिया। साथ ही बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया। वहां पर 25 दिन के इलाज के बाद बच्चे का वजन दो किलो हो गया है। अब वह खतरे से बाहर है। बच्चे को घर पहुंचा दिया गया है। शनिवार को डॉ. अरुण पटेल की अगुवाई में स्वास्थ्य कर्मियों ने गौसपुर टिकरी पहुंचकर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया। चिकित्सकों की माने तो बच्चा स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है।