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पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से बदला लोगों का विचार

कौशांबी पर्यावरण का संरक्षण समय की मांग है। जनजीवन को बचाने के लिए जिले में कुछ लोग पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 11:33 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:13 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से बदला लोगों का विचार
पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से बदला लोगों का विचार

कौशांबी : पर्यावरण का संरक्षण समय की मांग है। जनजीवन को बचाने के लिए जिले में कुछ लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चलाई है। वातावरण को स्वच्छ रखने को पौधरोपण, नदियों की स्वच्छता व जल संरक्षण के लिए वर्षों से काम कर रहे लोगों ने समाज में बड़ा परिवर्तन किया है। अब उनके साथ दर्जनों लोग मुहिम को आगे बढ़ाने में लग हैं। पर्यावरण संरक्षण को काम करने वालों को जिला प्रशासन व वन विभाग ने सम्मानित भी किया है।

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जल संरक्षण की दे रहे सीख :

प्रदूषित होती नदियों तथा विषपान कराते पर्यावरण की हालत देख विकास खंड कड़ा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कंथुवा के शिक्षक रणविजय निषाद ने अपने जीने का मकसद बदल दिया। 15 वर्षों से जनपद के दर्जनों विद्यालयों में समग्र जलसंरक्षण तथा पर्यावरण बचाने के लिए पौधरोपण करने की सीख बच्चों को देने के साथ वर्षा जल को सोकपिट के माध्यम से संचय करने पर बल दे रहे हैं। इन्होंने पर्यावरण संचेतना व जल संचेतना नामक दो पुस्तकें भी लिखी हैं। पर्यावरण संरक्षण हेतु उनको डीएम और डीएफओ समेत प्रदेश स्तर पर सम्मानित किया गया है।

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जन्मदिन पर लगाएं एक पौधा :

विकास खंड कड़ा क्षेत्र के दारानगर की श्रेया द्विवेदी पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को पौधे लगाने के लिए गत पांच साल से जागरूक कर रही हैं। कड़ा के 12 गांवों में इनके द्वारा लोगों को हरियाली लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। श्रेया द्विवेदी ने बताया कि उनके द्वारा जन्म के अवसर पर नीम, तुलसी, पीपल, बरगद आदि के पौधों का रोपण लोगों से कराया जाता है। रणविजय निषाद की प्रेरणा से पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाली प्लास्टिक बैग आदि वस्तुओं का उपयोग न करने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं।

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चौपाल से हरियाली का संदेश :

सिराथू तहसील क्षेत्र के शहजादपुर गांव के बनवारी लाल का पर्यावरण के प्रति लगाव शुरुआती जीवनकाल से ही रहा। पांच वर्ष पूर्व क्षेत्रीय सहकारी समिति से सेवानिवृत्त होने के बाद पौधे लगाकर हरियाली लाने का मुहिम छेड़ा। घर के पीछे ही लगभग दो बीघे भूमि पर फलदार व वायु शोधक वृक्ष जैसे आम, अमरूद, नीम, पीपल रोप कर हरियाली लाने का काम किया। शाम को घर पर चौपाल अथवा फोन द्वारा अपने परिचितों को पर्यावरण से होने वाले लाभ की जानकारी दे रहे हैं।


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