शिव का धनुष टूटते ही क्रोधित हुए परशुराम
संसू, करारी : नगर पंचायत करारी में चल रही रामलीला में रविवार की रात कलाकारों ने धनुषयज्ञ की लीला का मंचन किया। शिव के धनुष के टूट जाने के बाद परशुराम-लक्ष्मण संवाद हुआ। क्रोध में भरे परशुराम के तीखे वचनों का लक्ष्मण ने उत्तर दिए।
संसू, करारी : नगर पंचायत करारी में चल रही रामलीला में रविवार की रात कलाकारों ने धनुषयज्ञ की लीला का मंचन किया। शिव के धनुष के टूट जाने के बाद परशुराम-लक्ष्मण संवाद हुआ। क्रोध में भरे परशुराम के तीखे वचनों का लक्ष्मण ने उत्तर दिए।
रामलीला के मंचन में जनकपुरी में आयोजित धनुषयज्ञ के दौरान राम ने धनुष को तोड़ दिया। धनुष टूटने के बाद हर्सोल्लास छा गया। शिव का धनुष टूटने के बाद परशुराम क्रोधित होकर मौके पर पहुंचे। तब प्रभूराम ने हाथ जोड़कर पशुराम से कहा कि नाथ सम्भू धनु भंजनीहारा, होइहैं कोई एक दास तुम्हारा। इस पर परशुराम कहते है कि शिव धनुष तोड़ने वाला मेरा दास कैसे हो सकता है। सेवक वह है जो सेवा का काम करे। शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम! सुनो, जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। इसलिए सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैह¨ह सब राजा। मुनि के वचन सुनकर लक्ष्मणजी मुस्कुराए और परशुरामजी का अपमान करते हुए बोले-हे गोसाई! लड़कपन में हमने बहुत सी धनुहिया तोड़ डालीं, किन्तु आपने ऐसा क्रोध कभी नहीं किया। इसी धनुष पर इतनी ममता किस कारण से है। यह सुनकर परशुरामजी कुपित होकर कहने लगे। अरे राजपुत्र काल के वश होने से तुझे बोलने में कुछ भी होश नहीं है। सारे संसार में विख्यात शिवजी का यह धनुष क्या धनुही के समान है। इस पर लखन कहा हंसि हमरें जाना। सुनहू देव सब धनुष समाना। अंत में राम लक्ष्मण को शांत करते हुए बोले कि आपका अपराधी मैं हूं। मुझे दंड दें। परशुराम जी अपना धनुष श्री राम को देकर प्रत्यंचा चढ़ाने को देते हैं। श्री राम धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देते है। परशुराम जी को भगवान के अवतार लेने का आभास हो जाता है। वह तपस्या करने के लिए चले जाते हैं। रामलीला में भाजपा जिला मंत्री संजय, ट्रस्टी रमेश चंद शर्मा, बच्चा ¨सह, नौनिहाल कुशवाहा, अजय, ज्ञानचंद चौरसिया आदि लोग मौजूद रहे।
राम व लक्ष्मण संग विश्वामित्र पहुंचे जनकपुर
संसू, भरवारी : पुरानी बाजार भरवारी में हो रहे रामलीला के तीसरे दिन कलाकारों जनकपुर में मुनि विश्वामित्र, प्रभुराम व लक्ष्मण का आगमन व तड़का वध का मंचन किया गया। सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदरवन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में एक हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदरवन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि मुनि भी रहकर तपस्या करते थे। यह सभी राक्षस ऋषि मुनियों के जप तप और यज्ञ में हमेशा बाधाएं खड़ी करते थे। विश्वामित्र अयोध्या जाकर राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदरवन लेकर आए। यहां आकर प्रभुराम ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करते हुए ताड़का और सुबाहु का वध किया। राक्षसों का वध होने ही दर्शक जय श्रीराम के जयकारे लगाने लगे।