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सरसवां की उन्नति के लिए तिलहव गन्ने को मिले बढ़ावा

विकास खंड सरसवां क्षेत्र का विस्तार 58 ग्राम पंचायतों के बीच फैला है। यहां करीब 35 हजार किसान हैं। इनमें से 28 हजार किसानों का पंजीकरण हो चुका है। यमुना की तराई में बसे इस क्षेत्र में हर प्रकार की फसल पैदा होती है। क्षेत्र में सिचाई की पर्याप्त सुविधा है। नहरों के जाल के साथ ही निजी व सरकारी नलकूप क्षेत्र की सिचाई व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। आर्थिक दृष्टि से यमुना नदी से बालू निकासी और किनारे पर फसल उत्पादन आय का बढ़ा स्त्रोत है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 11:40 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 11:40 PM (IST)
सरसवां की उन्नति के लिए तिलहव गन्ने को मिले बढ़ावा
सरसवां की उन्नति के लिए तिलहव गन्ने को मिले बढ़ावा

पश्चिमशरीरा : विकास खंड सरसवां क्षेत्र का विस्तार 58 ग्राम पंचायतों के बीच फैला है। यहां करीब 35 हजार किसान हैं। इनमें से 28 हजार किसानों का पंजीकरण हो चुका है। यमुना की तराई में बसे इस क्षेत्र में हर प्रकार की फसल पैदा होती है। क्षेत्र में सिचाई की पर्याप्त सुविधा है। नहरों के जाल के साथ ही निजी व सरकारी नलकूप क्षेत्र की सिचाई व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। आर्थिक दृष्टि से यमुना नदी से बालू निकासी और किनारे पर फसल उत्पादन आय का बढ़ा स्त्रोत है।

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आम तौर पर सिचाई क्षेत्र में होने के कारण यहां के किसान धान व गेहूं का उत्पादन ज्यादा करते हैं। बागवानी व केला आदि की ओर किसानों का रुझान कम है। बलुई व दोमट मिट्टी होने कारण क्षेत्र में मूंग, आलू, गन्ने, अरहर व तिलहन फसलों को उत्पादन बेहतर हो सकता है, लेकिन किसान इन फसलों का उत्पादन अपनी जरूरत के अनुसार ही करते हैं। एक समय तक क्षेत्र के बरुआ, चांदनीराई, भगवतपुर, पूरबशरीरा, पश्चिमशरीरा, पुनवार, नगरेहा कला, लौगवां, डक शरीरा, मनकापुर, निखोदा आदि गांव में किसान गन्ने का उत्पादन अधिक करते थे, लेकिन किसानों को ज्यादा दिनों तक गन्ने का साथ नहीं मिला। पीका रोग के कारण फसल सूखने लगी तो किसानों ने इसका उत्पादन कम कर दिया। इसके साथ ही तिल्हन की फसलों यहां की मिट्टी के लिए बेहतर है, लेकिन किसान इनका उत्पादन कम करते हैं। यदि किसानों के बीच जागरूकता लाकर गन्ने व तिल्हान की फसलों को बढ़ावा दिया जाए तो क्षेत्र की उन्नति हो सकती है। गर्मी के दिनों में किसान मूंग की फसल तैयार करते थे, लेकिन बेसहारा मवेशियों के चलते करीब तीन साल से किसान फसल का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं।

सिंचाई का साधन नहीं

विकास खंड सरसवां क्षेत्र की लगभग 3200 हेक्टेयर भूमि की सिचाई के लिए पर्याप्त साधन नहीं है। इसके मद्देनजर यहां पर तिलहन व औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि व उद्यान विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है। कृषि कार्य के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है।

-डॉ. उदयभान गौतम, उप निदेशक कृषि


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