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खाद्यान्न से गायब हुए पोषक तत्व, बिगड़ रही सेहत

शैलेंद्र द्विवेदी, कौशांबी : जिले के किसान दशकों से परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं। फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया जा रहा है। रसायनिक खाद का अधिक प्रयोग करने की वजह से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है जिससे गेहूं, धान व सब्जियों से पोषक तत्व गायब हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 07:35 AM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 07:35 AM (IST)
खाद्यान्न से गायब हुए पोषक तत्व, बिगड़ रही सेहत
खाद्यान्न से गायब हुए पोषक तत्व, बिगड़ रही सेहत

शैलेंद्र द्विवेदी, कौशांबी : जिले के किसान दशकों से परंपरागत तरीके से खेती कर रहे हैं। फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया जा रहा है। रसायनिक खाद का अधिक प्रयोग करने की वजह से मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है जिससे गेहूं, धान व सब्जियों से पोषक तत्व गायब हो गए हैं। इन्हें खाने से लोग कैंसर, श्वास व पेट की बीमार से पीड़ित हो रहे हैं। वैज्ञानिक सर्वे में इसका पर्दाफाश होने के बाद कृषि विभाग विशेष अभियान चला रहा है।

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फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान वर्षों से डीएपी व यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मनोज ¨सह ने बताया कि अनाज में कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर व मैगनीज आदि पोषक तत्व कम हो गए हैं। कृषि विभाग की ओर से मृदा परीक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। खेतों की मिट्टी की जांच कर किसानों को स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा रहे हैं। कार्ड में दी गई रिपोर्ट के आधार पर किसान फसल उत्पादन में खाद का प्रयोग करेंगे। फसल उत्पादन में किसानों को जैविक खाद डालने के लिए जागरूक किया जा रहा है, जिसकी वजह से मृदा की सेहत में सुधार होगा। सवा लाख किसानों को दिए गए कार्ड

कृषि उपनिदेशक सत्येंद्र ¨सह चौहान ने बताया कि जिले के अधिकतर किसान फसल उत्पादन के लिए डीएपी व यूरिया खाद का अधिक प्रयोग करते थे। इससे मृदा का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। इस समस्या से निजात पाने के लिए किसानों के खेतों के मिट्टी की जांच कराई जा रही है। साथ ही उन्हें जैविक खाद के लिए जागरूक किया जा रहा है अब तक सवा लाख किसानों को मृदा परीक्षण के बाद स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जा चुका है। फसल उत्पादन के लिए कितनी खाद डालनी है। ये कार्ड में स्पष्ट किया गया है।


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