राजकीय विद्यालय में पढ़ाई नहीं, ग्रामीण खेल रहे जुआ
संसू, कसेंदा : जिले में राजकीय विद्यालयों की दशा खराब है। इन स्कूलों की शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में इन स्कूलों में अभिभावक ब'चों के नाम भी कम ही लिखवा रहे हैं। नेवादा ब्लाक के शेरगढ़ गांव में करीब एक करोड़ की लागत से बना विद्यालय भवन में अभी पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। वहां पर गांव के कुछ लोग जुआ खेलते रहते हैं। कुछ ग्रामीण तो उसमें मवेशी भी बांध रहे हैं।
संसू, कसेंदा : जिले में राजकीय विद्यालयों की दशा खराब है। इन स्कूलों की शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में इन स्कूलों में अभिभावक बच्चों के नाम भी कम ही लिखवा रहे हैं। नेवादा ब्लाक के शेरगढ़ गांव में करीब एक करोड़ की लागत से बना विद्यालय भवन में अभी पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। वहां पर गांव के कुछ लोग जुआ खेलते रहते हैं। कुछ ग्रामीण तो उसमें मवेशी भी बांध रहे हैं।
कुछ साल पहले शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में राजकीय हाईस्कूल के संचालन की योजना बनाई। चायल तहसील के शेरगढ़ में एक करोड़ की लागत से राजकीय हाईस्कूल के भवन का निर्माण शुरू कर दिया। भवन बनकर तैयार हो लेकिन वहां पर पढ़ाई नहीं शुरू हुई। चूंकि शिक्षा विभाग शिक्षकों की तैनाती नहीं कर रहे हैं और वह भवन सूना पड़ा है। ऐसे में गांव के लोगों ने उसपर कब्जा कर लिया। स्थित यह है कि खाली परिसर में कई ग्रामीण मवेशी बांध रहे हैं। गुरुवार को जागरण की टीम वहां पर पहुंची तो कई ग्रामीण स्कूल परिसर में जुआ की फड़ लगाए हुए मिले। अब तक लगता है कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई। जिला विद्यालय निरीक्षक सत्येंद्र कुमार ¨सह ने बताया कि शिक्षकों की समस्या है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र भेजा गया है, लेकिन अब तक दूसरे शिक्षक नहीं मिल सके है। किसी तरह शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है।
नाममात्र का है राजकीय विद्यालय
नाममात्र का राजकीय विद्यालय का संचालन प्राथमिक विद्यालय के एक कमरे में हो रहा है। यहां उनको पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं है। यहां तैनात रहे शिक्षक अखिलेश यादव को जून माह इलाहाबाद के लिए स्थानांतरण हो गया है। उनके तबादले के बाद राजकीय हाईस्कूल अफजलपुरवारी में तैनात शिक्षिका अर्चना गुप्ता को वहां संबद्ध कर दिया। इसके बाद से वह अवकाश पर चली गई। विद्यालय आने वाले छात्रों को प्राइमरी के शिक्षक ही समय मिलने पर उनको थोड़ा बहुत पढ़ा देते हैं।
अधिकांश छात्र नहीं आते विद्यालय
यहां पर नौवीं और 10वीं में 10-10 छात्रों के नामांकन हैं। इनमें से अधिकांश छात्र विद्यालय नहीं आते हैं। वह दूसरे विद्यालय में नामांकन के लिए प्रयास कर रहे हैं। गुरुवार को दैनिक जागरण की टीम शेरगढ़ पहुंची तो वहां नौवीं की छात्रा सुधा ¨सह व 10वीं के छात्र अनुभव दिवाकर और युवराज दिवाकर मिले। सभी विद्यालय के बाहर खेल रहे थे। उनके अभिभावक भी वहां आए थे। अभिभावक महेश कुमार ¨सह ने बताया कि वह अपने बच्चे का नाम विद्यालय में लिखाकर परेशान है।