जनपद में अब एक करोड़ रुपये से साफ होंगी नहरें
जासं, कौशांबी : जिले की तीनों तहसीलों में दो के बीच नहरों का जाल बिछा है। इन क्षेत्र में कुल 275.06 किलोमीटर की नहरें हैं। इसमें अधिकतर नहरों के टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में कई किसान ¨सचाई के लिए भूगर्भ जल पर ही निर्भर रहते हैं। इसीलिए लगातार भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है। इस बार टेल तक पानी पहुंचाने के लिए अभी से मशक्कत शुरू हुई हो गई। पिछले दिनों डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि 1.06 करोड़ की लागत से नहरों की सफाई कराई जाएगी और टेल तक पानी पहुंचाया जाएगा।
जासं, कौशांबी : जिले की तीनों तहसीलों में दो के बीच नहरों का जाल बिछा है। इन क्षेत्र में कुल 275.06 किलोमीटर की नहरें हैं। इसमें अधिकतर नहरों के टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में कई किसान ¨सचाई के लिए भूगर्भ जल पर ही निर्भर रहते हैं। इसीलिए लगातार भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है। इस बार टेल तक पानी पहुंचाने के लिए अभी से मशक्कत शुरू हुई हो गई। पिछले दिनों डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि 1.06 करोड़ की लागत से नहरों की सफाई कराई जाएगी और टेल तक पानी पहुंचाया जाएगा।
दो दशक पहले प्रयागराज से अलग होकर बने कौशांबी की दो तहसीलों सिराथू और मंझनपुर क्षेत्र में नहरों का जाल है। इन तहसील क्षेत्र से फतेहपुर में बने किशुनपुर पंप कैनाल, जरौली पंप कैनाल और रामगंगा कमांड से पानी आता है। फतेहपुर से पानी आने से अधिकतर नहरों में पानी का संकट रहता है। किशुनपुर पंप कैनाल को छोड़कर अन्य कैनाल की नहरों का पानी जिले तक नहीं पहुंच पाता है। किशुनपुर से निकलने वाली नहर मंझनपुर के सरसवां ब्लाक को कवर करती है। यहां के एक मुख्य नहर में तो सालभर पानी रहता है लेकिन छोटी नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंचा है। कौशांबी ब्लाक में जोगापुर पंप कैनाल लापरवाही से शुरू नहीं हो पा रही है। इस क्षेत्र में नहर का पानी होने से इधर का भूगर्भ जलस्तर ठीक है। सिराथू तहसील क्षेत्र जो नहरें हैं उनमें साल भर पानी नहीं रहता है। दोनों तहसीलों की छोटी बड़ी कुल 68 नहरें हैं। इसमें अगर 45 चालू हो जाएं तो काफी राहत मिलेगी। डीएम ने ¨सचाई खंड के अधिशासी अभियंता राजीव कुमार निरंजन को निर्देशित किया कि हर हाल में टेल तक पानी पहुंचाया जाए। जिले की 45 नहरों की सफाई जल्द से जल्द शुरू होगी। कुल नहर में 203.13 किलोमीटर नहर की सफाई विभागीय मद 86.07 लाख रुपये से की जाएगी। 71.93 किलोमीटर की नहरें जिला स्तरीय मद यानि मनरेगा से 20.68 लाख रुपये की लागत से साफ की जाएगी। नहरों की सफाई कराकर रबी के सीजन में किसानों के खेत तक पानी पहुंचाया जाएगा। नहरों का पानी आने से भूगर्भ जल का इस्तेमाल कम होगा और वाटर लेबल सही रहेगा।
- राजीव कुमार निरंजन, अधिशासी अभियंता ¨सचाई खंड।