कौशांबी में मिली जलधारा की उम्र 10 से 30 हजार साल पुरानी!
सदियों से उत्सुकता का केंद्र रही विलुप्त सरस्वती की खोज के लिए जिले में हुई कवायद किसी नतीजे तक पहुंचा सकती है। ड्रिलिंग में मिली जलधारा की उम्र 10 हजार से 30 हजार साल पुरानी होने का अनुमान है। इस कार्य से जुड़े विज्ञानी अधिकृत तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
विनोद सिंह, कौशांबी : सदियों से उत्सुकता का केंद्र रही विलुप्त सरस्वती की खोज के लिए जिले में हुई कवायद किसी नतीजे तक पहुंचा सकती है। ड्रिलिंग में मिली जलधारा की उम्र 10 हजार से 30 हजार साल पुरानी होने का अनुमान है। इस कार्य से जुड़े विज्ञानी अधिकृत तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
फरवरी-मार्च 2018 में राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) हैदराबाद एवं केंद्रीय भू जलबोर्ड (सीजीडब्लूबी) के विज्ञानियों ने विलुप्त सरस्वती की खोज शुरू की थी। फनगाव से यह कवायद शुरू हुई। हेलीकॉप्टर पर हेलिबोन ट्राजिएंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम के जरिये प्रयागराज समेत कौशाबी में सैकड़ों वर्ग किलोमीटर तक जमीन के भीतर सर्वे किया गया। मार्च 2020 तक सीजीडब्लूबी की यूनिट ने बमरौली, सेवथा, इछना, म्योहर करारी समेत दो दर्जनों स्थानों में खुदाई कराई। मार्च 2020 में सिराथू के कड़ा ब्लाक स्थित पहाड़पुर कोदन (कमसिन) गाव में खुदाई के समय कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन घोषित हो गया तो सीजीडब्लूबी की टीम वाराणसी चली गई। सर्वे के क्रम में जिन स्थानों पर 100 से 150 मीटर तक बोरवेल से खुदाई हुई वहां से मिली मिट्टी, कंकड़, रेत और पानी के सैंपल कार्बन डेटिंग के लिए एकत्रित किए गए। कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया से उम्र का पता लगता है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के विज्ञानी डा. देवेंद्र कुमार ने इस बात की पुष्टि की कि खुदाई में मिले पानी की उम्र का पता लगाने संबंधी शोध का पहला चरण पूरा हो चुका है। उन्होंने हैदराबाद में हुए रिसर्च को पब्लिक डोमेन में लाने से मना कर दिया। सिर्फ इतना भर कहा कि जलधारा की उम्र 10 हजार से 30 हजार साल पुरानी हो सकती है। दूसरे चरण का सर्वे होना बाकी है। सीजीडब्लूबी के विज्ञानी डा. शशिकात ने कहा कि हैदराबाद के अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान अनुसंधान संस्थान रुड़की के केमिकल डिपार्टमेंट में कार्बन डेटिंग की हुई है। उन्होंने कहा कि रुड़की के विज्ञानियों ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी है। इसमें क्या तथ्य हैं, यह उन्हें पता नहीं है। उन्होंने कहा कि एनजीआरआइ हैदराबाद के निर्देश पर अगली प्रक्रिया चलेगी। मंझनपुर में मिली जलधारा के चैनल के यमुना से जुड़े होने के संकेत मिले हैं।