मनरेगा में गड़बड़झाला, फर्जी दस्तावेज पर भुगतान
विनोद कुमार सिंह चायल विकास खंड चायल क्षेत्र में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में मटेरियल आपूर्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया है। मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों से साठगांठ कर उन फर्मों से सामग्री की खरीदारी कर भुगतान किया है जिनके पास न तो प्लांट है और न ही फार्मों का वाणिज्य कर विभाग में पंजीयन।
विनोद कुमार सिंह, चायल : विकास खंड चायल क्षेत्र में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में मटेरियल आपूर्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया है। मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों से साठगांठ कर उन फर्मों से सामग्री की खरीदारी कर भुगतान किया है जिनके पास न तो प्लांट है और न ही फार्मों का वाणिज्य कर विभाग में पंजीयन।
ग्राम पंचायतों में कराने वाले विकास कार्यों में लगने वाली सामग्री की आपूर्ति के टेंडर कराने का प्रावधान हैं। वाणिज्य कर विभाग में पंजीकृत को ही टेंडर में शामिल करते हुए उन्हीं से सामग्री की खरीदारी की जाए, लेकिन विकास खंड चायल की ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कराए गए विकास कार्यों के भुगतान में गड़बड़ी हुई। ग्रामीणों की मानें तो चौराडीह गांव में अशर्फीलाल के घर से कल्याण के घर तक इंटरलॉकिग आपूर्ति के लिए तीन लाख दो हजार रुपये, चिल्ला शाहबाजी गांव में शोभनाथ के घर से लल्लू के घर तक इंटरलॉकिग में एक लाख 64 हजार, मुरादपुर में इंटरलॉकिग कार्य मटेरियल आपूर्ति दो लाख 77 हजार, निजामपुर पुरैनी में एक लाख 74 हजार, फरीदपुर सुधवर में एक लाख 22 हजार निजामपुर पुरैनी गांव में एक लाख 74 हजार व जलालपुर शाना में एक 66 हजार का मटेरियल मेसर्स एसवीएस सुपर इंफ्रा बिल्ट कंपनी व मेसर्स ओम कंट्रक्शन कंपनी से सामग्री खरीदी गई है। उन फर्मों के मालिक के पास न तो सीमेंट का ईंट बनाने का प्लांट है और न ही वाणिज्य कर विभाग में रजिस्ट्रेशन हैं। विभागों के सक्षम अधिकारियों के सत्यापन न करने से ऐसी कागजी कार्यदायी संस्थाएं हर वर्ष सरकार से टैक्स चोरी कर लाखों रुपये का चूना लगा रही हैं। यह मामला गंभीर है। इसकी जांच कराई जाएगी। यदि गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई की जाएगी।
लक्ष्मण प्रसाद, परियोजना निदेशक डीआरडीए।