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यहां रोजगार नहीं, दोबारा परदेस जाने की हिम्मत नहीं

देश इन दिनों कोरोना के संकट से जूझ रहा है। कोरोना के साथ एक और संकट आ गया है

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:08 AM (IST)
यहां रोजगार नहीं, दोबारा परदेस जाने की हिम्मत नहीं
यहां रोजगार नहीं, दोबारा परदेस जाने की हिम्मत नहीं

देश इन दिनों कोरोना के संकट से जूझ रहा है। कोरोना के साथ एक और संकट आ गया है, वह है मानव संपदा को रोजगार मुहैया कराना। बाहर से लौटे लोग अब दोबारा काम पर जाने को तैयार नहीं है। ऐसे में वे अब अपने गांव में ही रोजगार तलाश रहे हैं। उनके कौशल के अनुसार गांव में रोजगार मिलना कठिन है। यह शासन के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।

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कोरोना के संक्रमणकाल में गैर प्रांतों और महानगरों से लगभग 40 हजार लोग गांव लौटे हैं। जिले में बड़ी औद्योगिक इकाइयां नहीं है। इससे रोजगार का भी संकट खड़ा हो गया है। कोई सिलाई करने का काम करने की सोच रहा है तो कोई दुग्ध उत्पादन पर जो दे रहा है। सरकारी सहायता मिलने पर रोजगार के लिए भी लोग विचार बना रहे हैं। इन लोगों को मनमाफिक रोजगार मुहैया कराना जहां एक ओर सरकार के लिए चुनौती है। वहीं, जिन इकाइयों में यह काम करते थे। वहां कर्मचारी नहीं पहुंचेंगे तो कामगारों का संकट खड़ा हो जाएगा।

प्रवासियों की प्रतिक्रिया:

गुजरात में एक प्लास्टिक कंपनी में काम करता था। अब दोबारा वहां जाने का मन नहीं है। लॉकडाउन के बाद दो मई को गांव आया हूं। 14 क्वारंटाइन रहा। इस दौरान यहीं रहने का फैसला किया है। अभी कुछ सोचा नहीं कि आगे क्या करना है। फिलहाल मनरेगा में मजदूरी कर रहा हूं।

- रामबाबू, कसेंदा

पूना के कल्याण शहर में कपड़ा सिलाई का काम करता था। जहां पर मैं था वहां जींस की सिलाई की जाती थी। काम बंद होने पर नौ अप्रैल को गांव लौटा हूं। अब सोचता हूं यही पर सिलाई का काम करूंगा। अभी इसके लिए क्या करना है और कैसे करना है इसको लेकर विचार कर रहा हूं।

- विवेकचंद्र, आलमपुर नेवादा

अलीगढ़ में एक ईंट भट्ठे पर काम करता था। अब दोबारा वहां नहीं जाने का फैसला किया है। आसपास के कई भट्ठो पर संपर्क किया है। जहां काम की बात हुई है। जल्द ही काम मिलेगा। कम मिले ठीक है पर बच्चों के बीच रहना है।

- श्याम मूरत, कसेंदा

पुणे में रहकर एक कंपनी के लिए जींस सिलने का काम करता था। नौ अप्रैल से गांव में आ गया हूं, अब दूसरे काम की तलाश है। सिलाई का काम करने का फैसला किया है। अब दोबारा वापस नहीं जाना है। इस लिए यहीं पर कुछ करने की सोच रहा हूं।

- राम नारायण, आलमपुर

वर्जन:

शहरों से गांव आने वाले श्रमिकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए 10 विभागाध्यक्षों को निर्देश भी दिया जा चुका है। जिन प्रवासियों में हुनर है। उनकी अलग सूची तैयार कराई जा रही है। जल्द ही बेरोजगार प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा।

- मनीष कुमार वर्मा, डीएम


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