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मटकी की भविष्यवाणी, भरपूर बरसेगा पानी

प्रमोद यादव, कौशांबी : गंगा-यमुना के बीच की धरती से पुराने और आजमाए हुए अनुभव से भविष्यवाणी की गई है

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Apr 2018 06:27 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 06:27 PM (IST)
मटकी की भविष्यवाणी, भरपूर बरसेगा पानी
मटकी की भविष्यवाणी, भरपूर बरसेगा पानी

प्रमोद यादव, कौशांबी : गंगा-यमुना के बीच की धरती से पुराने और आजमाए हुए अनुभव से भविष्यवाणी की गई है कि इस वर्ष अधिक बारिश होगी। फसलों का उत्पादन भरपूर होगा लेकिन व्यापार फीका रहेगा। यह भविष्यवाणी जिले के उदहिन गांव के बुजुर्ग ने की है। वह कई दशकों से भविष्यवाणी करते आए हैं और लोगों का मानना है कि सच भी होती है। कहते हैं उनकी भविष्यवाणी विज्ञान पर आधारित है।

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उदहिन गांव के 80 साल के बुजुर्ग संत सरन ¨सह उर्फ मुखिया ने दशकों पुराने तरीके से मौसम की भविष्यवाणी की है। तीन पीढि़यों से उनके परिवार के लोग मौसम की भविष्यवाणी करते आए हैं। लोगों का मानना है कि वह सच हुई है। संत सरन बताते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन ही मौसम की भविष्यवाणी का संयोग बनता है। उस दिन एक मटकी, मिट्टी के पांच ढेले के साथ 11 तरह के अनाज जुटाए। शाम को घर में कढ़ी, रोटी और पकौड़ी बनी। रात करीब दस बजे गांव से दूर खेत में मटकी में पानी भर उसे पांच ढेलों पर रख दिया। मटकी में 11 तरह के अनाज से बनी गठरी बांधी। फिर उस पर रोटी और कढ़ी, पकौड़ी रख दी। वहां से लौटने के बाद परिवार ने भोजन किया। दूसरे दिन सूर्य निकलने से पहले वह फिर खेत पहुंचे और वहां की स्थिति देख मौसम की भविष्यवाणी की।

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क्या है भविष्यवाणी की प्रक्रिया

भविष्यवाणी करने के लिए मिट्टी के पांच ढेले बनाए। इसमें अषाढ़, सावन, भादौ, क्वार और कार्तिक नाम के ढेले बने। साथ ही एक मटकी का इंतजाम किया। धान, गेहूं, जौ, चना, बाजरा, कपास, चना, उड़द, काकुन, सांवा, मकरा और बेर्रा को एक-एक तोला तौलकर एक कपड़े में अलग-अलग गठरी बनाया। फिर इनको अक्षय तृतीय की रात को खेत में रख आए।

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क्या हुई भविष्यवाणी

अगले दिन मुखिया बाबा खेत पर पहुंचे तो अषाढ़, सावन, भादौ और क्वार के ढेले अधिक गीले थे। इससे उन्होंने इन चार महीनों में अधिक बारिश की बात कही। पांचवा ढेला कार्तिक कम गीला था, सो कम बारिश की बात कही। इसके बाद घर लाकर सभी अनाज तौले गए तो धान, गेहूं, जौ, बाजरा, कपास, चना, उड़द, काकुन, मकरा, बेर्रा के दाने गीले होकर उनका वजन बढ़ गया। वजन से जितने दाने बढ़े, उसी गिनती हुई। वहीं दाना बढ़ा व सांवा बराबर रहा। उनके अनुसार इसका मतलब इन फसलों की उपज ज्यादा होगी।

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फीका रहेगा व्यापार

बताया कि मटका रखने वाले स्थान पर चीटियां बहुत कम थीं और चीटें एक भी नहीं। इसलिए इस साल देशभर में व्यापार फीका रहेगा। फसलों का उत्पादन अच्छा होगा लेकिन व्यापार कम होगा। गन्ने का व्यापार भी गिरेगा।


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