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तालाबों में बने आलीशान मकान, कुछ में हो रही खेती

जनपद के तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराकर वर्ष जल संरक्षण का निर्देश शासन स्तर दिया गया है। इसके लिए पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया लेकिन जिले में इसका कुछ खास असर नहीं दिख रहा है। जनपद के लगभग 370 तालाब गायब हो गए हैं। इन तालाबों पर लोग खेती कर रहे हैं। या फिर आलीशान भवन बन गए हैं। अधिकांश तालाबों का रकबा छोटा हो गया है। लिखित शिकायत के बाद भी कब्जा धारकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। तालाबों में ऐसे में वर्षा जल का संचय होना असंभव है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 10:12 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 10:12 PM (IST)
तालाबों में बने आलीशान मकान, कुछ में हो रही खेती
तालाबों में बने आलीशान मकान, कुछ में हो रही खेती

जासं, कौशांबी : जनपद के तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराकर वर्ष जल संरक्षण का निर्देश शासन स्तर दिया गया है। इसके लिए पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया, लेकिन जिले में इसका कुछ खास असर नहीं दिख रहा है। जनपद के लगभग 370 तालाब गायब हो गए हैं। इन तालाबों पर लोग खेती कर रहे हैं। या फिर आलीशान भवन बन गए हैं। अधिकांश तालाबों का रकबा छोटा हो गया है। लिखित शिकायत के बाद भी कब्जा धारकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। तालाबों में ऐसे में वर्षा जल का संचय होना असंभव है।

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जिले में कुल 2825 तालाब हैं। एक समाजसेवी के अनुसार एक 370 तालाब सिर्फ कागजों पर दिख रहे हैं। जमीनी हकीकत कुछ और है। इन तालाबों निशान मिट गया है। कुछ तालाबों में बस्ती आबाद हो गई है। तो कुछ में भूमाफिया खेती कर रहे हैं। जिन तालाबों पर अवैध तरीके से कब्जा है। उसमें जिला मुख्यालय मंझनपुर, नगर पालिका परिषद भरवारी, नगर पंचायत अजुहा, नगर पंचायत करारी, मंझनपुर तहसील क्षेत्र के ऊनो, कुलौली, सिराथू तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत नारा, चक गांव व चायल आदि गांवों के तालाब प्रमुख हैं। शासन के निर्देश पर दो वर्ष पूर्व तालाबों को खाली कराने के लिए तहसील प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया था। जो महज खाना पूर्ति बन कर रह गया। वर्ष 2019-20 में अभियान चलाकर कुछ तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया था। जिन तालाबों को खाली कराया गया था। उनमें से अधिकतर तालाबों में लोगों ने पुन: कब्जा कर लिया है। यदि जिला प्रशासन इन तालाबों को खाली कराकर उनकी खोदाई कराए तो बारिश के पानी का संचय होगा। साथ ही जिले का भूगर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा। भूमाफियाओं ने बदल दिया नक्शा

नगर पालिका परिषद भरवारी व सिराथू में आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों ने तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया है। जिसको देखते हुए छोटे-मोटे लोग भी तालाबों का नक्शा बदलने में सक्रिय हैं। अतिक्रमण से कई तालाब तो पूरी तरह से अस्तित्व विहीन हो गए। यहां कुल चार तालाब बचे हैं जिनका क्षेत्रफल तकरीबन 28 बीघे है। रिहायशी क्षेत्र में होने के कारण इनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। गौरा का धौरहा तालाब 18 बीघे का है। मौजूदा समय में 10 बीघा भी नहीं बचा होगा। नैतारा तालाब वार्ड नंबर 4 गौरा में स्थित है। डेढ़ बीघा का यह तालाब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। वार्ड नंबर 11 में पांच बीघे का तालाब सिमट कर अब ढाई बीघा ही बचा है। मंगरोहनी के तालाब में आबाद हो गई बस्ती

सिराथू तहसील क्षेत्र के मंगरोहनी के तालाब में स्थित आठ बीघे तालाब में पूरी तरह से बस्ती आबाद हो गई है। इस तालाब में 60 से अधिक लोगों ने मकान बना लिया है, जिसमें 300 से अधिक लोग रहती है। जांच के बाद तहसील प्रशासन ने दो वर्ष पूर्व जिला प्रशासन का रिपोर्ट भेज दिया है कि इस तालाब को खाली कराना संभव नहीं है। यदि तालाब को खाली कराया गया तो सैकड़ों लोग बेघर हो जाएंगे। जिले के तालाबों को खाली कराने के लिए जल्द अभियान चलाया जाएगा। किस तहसील क्षेत्र के किन तालाबों में अवैध कब्जा है। इस संबंध में एसडीएम से रिपोर्ट भी मांगी जा चुकी है।

सुजीत कुमार, जिलाधिकारी


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