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उद्योग के नाम पर हथियाई लाखों की भूमि, नहीं स्थापित हुईं इकाइयां

जिला बनने के बाद चिकित्सा शिक्षा व परिवहन क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ लेकिन रोजगार के साधन उपलब्ध कराने वाली औद्योगिक इकाइयां एक भी नहीं स्थापित हुईं। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए नगर पालिका भरवारी क्षेत्र के परसरा व चायल के मखऊपुर में सैकड़ों बीघे भूमि सुरक्षित की गई। लाखों रुपये की भूमि लोगों ने इकाइयां स्थापित करने के नाम पर हथिया भी लीं पर इकाइयां नहीं लगाईं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 11:21 PM (IST)
उद्योग के नाम पर हथियाई लाखों की भूमि, नहीं स्थापित हुईं इकाइयां
उद्योग के नाम पर हथियाई लाखों की भूमि, नहीं स्थापित हुईं इकाइयां

जासं, कौशांबी: जिला बनने के बाद चिकित्सा, शिक्षा व परिवहन क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ लेकिन, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने वाली औद्योगिक इकाइयां एक भी नहीं स्थापित हुईं। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए नगर पालिका भरवारी क्षेत्र के परसरा व चायल के मखऊपुर में सैकड़ों बीघे भूमि सुरक्षित की गई। लाखों रुपये की भूमि लोगों ने इकाइयां स्थापित करने के नाम पर हथिया भी लीं पर इकाइयां नहीं लगाईं।

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बेरोजगारों को रोजगार देने के मकसद से कुटीर एवं लघु इकाइयां स्थापित करने पर सरकार का जोर रहा है। इसी के मद्देनजर औद्योगिक इकाइयां

स्थापित करने के लिए परसरा और मखऊपुर में जिला प्रशासन की ओर से भूमि आरक्षित की गई। लगभग 10 साल पहले तहसील प्रशासन द्वारा लोगों को भूमि आवंटन भी किया गया। बताते हैं कि 15 से अधिक लोगों को जमीन दी गई थी, लेकिन उसमें से किसी एक ने भी कोई इकाई नहीं स्थापित की, जिससे कि जिले के 50 अथवा 100 बेरोजगारों को रोजगार मिल सके।जिन लोगों को जमीन आवंटित किया गया था, प्रशासन द्वारा कई बार इकाइयां स्थापित करने के लिए उन्हें नोटिसें भी जारी की गईं फिर भी कोई दिलचस्पी नहीं ली गई। नतीजा यह है कि जिले के युवाओं को रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई, गुजरात जैसे महानगरों की तरफ रुख करना पड़ता है। अगर मखऊपुर की बात करें तो वहां पर केवल दो इकाइयां ही हैं। एक इकाई में इनर्वटर, बैट्री का निर्माण किया जाता है। दूसरी इकाई में सिरिज समेत कुछ अन्य स्वास्थ्य उपकरण बनाए जाते हैं। इन इकाइयों में भी लगभग 30-35 लोगों को ही रोजगार मिला है। वह भी बाहरी हैं।महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र दिनेश चंद्र शास्त्री का कहना है कि जिन्हें जमीन आवंटित की गई है, उनके उद्योग कहीं न कहीं चल रहे हैं। उन्हें वहां भी उद्योग लगाने के लिए कहा गया है।


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