जागरण संवाददाता, कौशांबी: जिले के थानों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस की 'तीसरी आंख' कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरे नजर नहीं आ रहे हैं। जहां लगे भी हैं, वहां मरम्मत के अभाव में शोपीस साबित हो रहे हैं। ऐसे में चुनौती दे रहे अपराधियों पर शिकंजा कसने को लेकर पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। जिले में बढ़ते अपराध व अपराधियों पर शिकंजा कसने को लेकर पुलिस विभाग तकनीकी समस्याओं से अभी भी जूझ रहा है। चाहे वह डाग स्क्वायड की कमी हो या फिर सीसीटीवी कैमरे का न होना।
नए सीसीटीवी कैमरे लगना दूर, पुरानों की नहीं हो सकी मरम्मत
यदि पुलिस की तीसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरे की बात करें तो किसी भी थाने में यह व्यवस्था नहीं है। हालांकि, तीन साल पहले सभी थानों के अलावा नजदीकी चौराहों व सार्वजनिक स्थानों पर कैमरे लगाए गए थे, लेकिन देखरेख के अभाव में यह पूरी तरह खराब हो चुके हैं। लिहाजा घटनाओं को अंजाम देने के बाद फरार होते समय बस अड्डों व चौराहों का सहारा लेने वाले अपराधियों को खोज पाना पुलिस के लिए मुश्किल भरा होता है। जबकि पहले कैमरे लगे थे तो उनकी मानीटरिंग सीधे थाने से की जाती थी, लेकिन जब कैमरे ही नहीं हैं तो मानीटरिंग के नाम पर महज पुलिस मित्र ही बचे हैं।
अफसरों का दावा है- जल्द ही कैमरे लगा दिए जाएंगे
बीते दिनों पुलिस अधिकारियों ने सभी थानों समेत प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का दावा किया था, लेकिन इसका असर कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि, अफसरों का दावा है कि जल्द ही कैमरे लगा दिए जाएंगे। इस बारे में अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर का कहना है कि जिन थानों में कैमरे खराब हैं, उनकी मरम्मत के लिए प्रयास किया जा रहा है। नए कैमरे के लिए बजट का इंतजार है। जनपद में थानों के अलावा कम से कम सौ प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने की योजना है। जल्द ही काम पूरा करा लिया जाएगा।