दूर-दूर तक महक रहा कौशांबी का ड्रैगन फ्रूट, इन बीमारियों के लिए है रामबाण औषधि
ड्रैगन फ्रूट डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। अधिक चर्बी वाले लोग भी इसका सेवन कर मोटापा कम करते हैं।
कौशांबी [विकास मालवीय]। कई गंभीर बीमारियों के लिए रामबाण साबित होने वाले ड्रैगन फ्रूट की उत्तर प्रदेश के कौशांबी में दो साल पहले शुरू हुई खेती ने किसानों की उन्नति के दरवाजे खोल दिए हैं। इसकी खेप गैर प्रांतों में भी पहुंचने लगी है। उद्यान विभाग के सहयोग से कुछ किसानों ने खेती शुरू की तो जिलेभर के करीब 60 किसान आगे आए।
थाईलैंड, चीन व मलेशिया में होने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए 2015-16 में तत्कालीन डीएम अखंड प्रताप सिंह की पहल पर उद्यान विभाग ने पश्चिम बंगाल से ड्रैगन फ्रूट के पौधे मंगवाए। शुरुआत में बहुत कम लोगों ने रुचि दिखाई, लेकिन सालभर में बेहतर लाभ को देखते हुए किसानों का रुझान बढ़ा।
18 महीने में इसके पौधे फल देने के लिए तैयार हो गए थे। किसान एक बार फल निकाल चुके हैं। तीन सौ ग्राम से आठ सौ ग्राम वजन तक के लाल रंग के होने वाले फलों को किसानों ने उद्यान विभाग के जरिए दूसरे प्रांतों में भी भिजवाया। उसके बाद से इसकी डिमांड दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में बढ़ गई है। केवल फल ही नहीं, इसे लगाने वाले किसान पौधे भी बेचने लगे हैं।
यह पौधा नागफनी की तरह होता है। इसमें निकलने वाले कल्ले ही नए पौधे बनते हैं। जिले की मिट्टी में ड्रैगन फ्रूट की खेती सफल है, इसलिए कई और किसान इसे लगाने लगे हैं। इसकी खेती करने के वाले टेंगाई गांव के किसान रवींद्र पांडेय ने बताया कि पहली साल फल आया तो अधिकतर टेस्ट करने में ही चला गया, लेकिन कुछ फल उन्होंने दौ सौ रुपये प्रति फल के हिसाब से बेचे। इसकी खेती का विस्तार हो रहा है, इसलिए पौधों की डिमांड ज्यादा है।
कैसे होती है खेती
इसका पौधा काफी नाजुक होता है, इसलिए पिलर के सहारे खड़ा करना होता है और ऊपर से हल्का पानी देना होता है। एक पिलर में चार पौधे लगा सकते हैं और 18 महीने में उसमें 50 से 120 फल आ जाते हैं। उद्यान विभाग के अनुसार, प्रति एकड़ इसका उत्पादन करीब छह क्विंटल होता है।
एक बार लगा पौधा कई साल चलता है। इससे किसानों की अच्छी आय होती है। इसमें पिलर बनवाने का खर्च ही महंगा है। बाकी 50 रुपये का पौधा और गोबर की खाद लगती है। पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। इसमें बीमारी नहीं लगती है। कांटे होने की वजह से इसे कोई जानवर नहीं खाता है।
अगस्त से आने लगते हैं फल
पौधों में मई व जून में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल आते हैं। इसकी ड्रिप सिंचाई ज्यादा बेहतर रहती है। गर्मी के मौसम में आवश्यकता के अनुसार ही सिंचाई करनी चाहिए। फूल आने के एक महीने बाद फल तोड़ा जा सकता है।
इन बीमारियों के लिए रामबाण
ड्रैगन फ्रूट डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। अधिक चर्बी वाले लोग भी इसका सेवन कर मोटापा कम करते हैं। यह फल हार्ट को मजबूत करने के साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है। इसमें विटामिन बी और सी के साथ कैल्शियम, आयरन जैसे तत्व भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम का कहना है कि कौशांबी जिले के 60 किसानों ने करीब सात हजार पौधों की खेती की। कम लागत में अधिक आय देने वाले ड्रैगन फ्रूट की मांग मुंबई, दिल्ली व मध्य प्रदेश समेत कई प्रांतों से की जा रही है। इसकी खेती कर किसान आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं।