जोगापुर पंप कैनाल भी किसानों को नहीं दे सका खुशियां
पानी किसानों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसके बिना किसानों के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कौशांबी ब्लाक का नाम आते ही यमुना नदी का किनारा और यहां फैले नहरों का जाल सामने आ जाता है लेकिन क्षेत्र के किसानों के जीवन में यह नहरें खुशहाली नहीं ला पा रही हैं। किसानों को समय से सिचाई के लिए पानी मिल सके।
कौशांबी : पानी किसानों के जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसके बिना किसानों के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कौशांबी ब्लाक का नाम आते ही यमुना नदी का किनारा और यहां फैले नहरों का जाल सामने आ जाता है, लेकिन क्षेत्र के किसानों के जीवन में यह नहरें खुशहाली नहीं ला पा रही हैं। किसानों को समय से सिचाई के लिए पानी मिल सके। इसके लिए यहां जोगापुर पंप कैनाल भी बनाया गया है। वर्ष 2018 में करीब दस करोड़ की लागत से बना पंप कैनाल केवल दो माह ही चल पाता है। यहां बनी कलानी माइनर व झंडिया का पूरा माइनर करीब दो दशक से सूख पड़ा है। किसान सुविधाओं के बाद भी उचित प्रबंध न होने से बदहाल हो रहा है।
कौशांबी ब्लाक क्षेत्र यमुना नदी के तराई में बसा है। ब्लाक क्षेत्र में आय का सब से बड़ा साधन खेती है। खेतों को समय से पानी मिले। इसके लिए क्षेत्र में नहरों का जाल है, लेकिन इसका उचित देखभाल व प्रबंधन न होने से किसानों को जरूरत के अनुसार पानी नहीं मिलता। किसान फसलों को तैयार तो कर लेता है, सिचाई के लिए उसे परेशान होना पड़ता है। निजी नलकूप के अलावा अन्य कोई माध्यम नहीं है कि वह सिचाई कर सके। ऐसा नहीं है कि क्षेत्र के सभी गांव में पानी का संकट है, लेकिन यह संकट कब आएगा। इसका अनुमान किसान नहीं लगा पाता। नहरें चली और बंद गई। यह स्थित किसानों के लिए चिता का कारण बनी रहती हैं। जिन क्षेत्रों सिचाई के लिए नहरें है भी वहां भी नहरे जाने का भय बना रहता है। ऐसे में किसान निजी नलकूप के लिए परेशान रहता है। जोगापुर पंप कैनाल की स्थापना होने से क्षेत्र के 42 गांव के लोगों को आशा जगी थी कि पानी समय से मिलेगा, लेकिन दो साल से पंप कैनाल उनकी जरूरतों पर खरा नहीं उतर रहा। यह पंप कैनाल भी मात्र दो माह ही चलता है। ऐसे शेष दिनों में किसानों के सामने अपनी सुविधा से सिचाई करने की चुनौती रहती है।
जोगापुर पंप कैनाल बंद है। माइनरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। गुरौली, चांदकन, कलानी, जुगराजपुर, सोनवारा, धाना,ऐगवा, आदि गांवों के किसानों के सामने सिचाई की समस्या है। शिकायत के बाद भी समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
मूल चंद्र
नहर में दो दशकों से पानी नही आया है। इससे पानी के अभाव में धान व गेहूं की बुआई नहीं कर सके हैं। मजबूरन
दलहन व तिलहन खेती करना पड़ा रहा है।
जय नारायण मिश्र
रबी की फसलों की बुआई के बाद आउट सीजन में पानी छोड़ा जाता है। इससे किसानों कोई फायदा नहीं होता है। सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही हैं।
यज्ञ देव पांडेय
गुरौली माइनर की दो दशक से सफाई नहीं कराई गई है। नहर में खरपतवार उगा है। पानी न आने की वजह से किसान भी नहर को भूल गए हैं। निजी नलकूपों से फसलों की सिचाई करते है। जो काफी मंहगा पड़ता है।
फूल चंद्र द्विवेदी
नहरों की सिल्ट सफाई के लिए बजट मिल गया है। टेंडर हो गया है। कुछ नहरों में सफाई का कार्य चल रहा है। सभी माइनरों की सिल्ट सफाई कराकर जल्द पानी का प्रवाह किया जाएगा।
जगदीश लाल, सिचाई एक्सईएन कौशांबी