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ओसा गांव का अधूरा विकास, रास्तों में भरा पानी

संसू, टेंवा : शासन की मंशा है कि गांवों का विकास हो और ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल सके। इसके लिए लाखों रुपये पंचायतीराज विभाग की ओर से खर्च किया जा रहा है। इसके बाद भी जिले की कई ग्राम पंचायतों का आधा-अधूरा विकास कराया गया है। इसका जीता-जागता नमूना रविवार को जिला मुख्यालय मंझनपुर दो मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत ओसा में देखा गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 11:12 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 11:12 PM (IST)
ओसा गांव का अधूरा विकास, रास्तों में भरा पानी
ओसा गांव का अधूरा विकास, रास्तों में भरा पानी

संसू, टेंवा : शासन की मंशा है कि गांवों का विकास हो और ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल सके। इसके लिए लाखों रुपये पंचायतीराज विभाग की ओर से खर्च किया जा रहा है। इसके बाद भी जिले की कई ग्राम पंचायतों का आधा-अधूरा विकास कराया गया है। इसका जीता-जागता नमूना रविवार को जिला मुख्यालय मंझनपुर दो मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत ओसा में देखा गया।

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विकास खंड मंझनपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत ओसा में विकास कार्यों की पड़ताल करने जागरण टीम रविवार को पहुंची। कस्बे के बीच खडंजा मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हैं। जल निकासी का इंतजाम न होने से परेशानी होती है। ग्रामीणों की मानें तो खडंजा तथा सड़क पर पानी भरा रहता है। इससे स्कूल जाने वाले बच्चे गिरकर चुटहिल हो रहे हैं। गांव में तैनात कर्मी महीनों से गांव नहीं आया इससे नलियों में गंदा पानी व कीचड़ बज-बजा रहा है तथा जगह-जगह कूड़ा के ढेर लगे हुए हैं। गांव में पेयजल के लिए लगे अधिकांश हैंडपंप फेल हो गए हैं। जो हैंडपंप चल रहे हैं। उनके पास गंदा पानी भरा हुआ है। यही नहीं सरकारी योजनाओं में से कई पात्र वंचित हैं। इसकी शिकायत भी ग्रामीणों ने अधिकारियों से की थी। इसके बाद समस्याओं का निराकरण नहीं कराया गया। कहते हैं ग्रामीण

- कई रास्ते कीचड़ युक्त हो गए हैं। शिकायत के बाद भी रास्ते की मरम्मत नहीं कराई गई है।

बड़ेलाल - कई नालियां चोक हो गई है। जल निकासी का इंतजाम न होने से दूषित पानी का भराव है।

शिवबाबू - कई पात्रों को पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शिकायत के बाद प्रधान ने ध्यान नहीं दिया।

मोहित कुमार - प्रधानमंत्री आवास व शौचालय को ग्राम प्रधान व सचिव से फरियाद की लेकिन सुविधा नहीं मिली।

फूलकली गांव का इतिहास

1961 में ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया। गांव की आबादी पांच हजार से अधिक है। तभी से अब तक करोड़ों खर्च के बाद भी गांव की हालत नहीं सुधरी।

टॉप टेन समस्या

नालियां न होने से रास्ते में दूषित पानी का भराव, खुली बैठक में तैयार हुई कार्ययोजना नहीं कराया कार्य, गंदगी होने से संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका, खुले में शौच करने से दूषित हो रहा पर्यावरण, नहीं पूरा हुआ शौचालयों का निर्माण, गांव में गंदगी का अंबार, झोपड़ी में रह रहे लोग व हैंडपंप खराब होने से पेयजल की किल्लत कहते हैं सीडीओ

- गांव के विकास के मामले में अगर लापरवाही बरती गई तो प्रधान व सचिव से स्पष्टीकरण लिया जाएगा। सर्वे कराकर पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को दिलाया जाएगा।

- इंद्रसेन ¨सह, सीडीओ


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