कौशांबी में स्मॉग का असर, मुश्किल में जिदगी
दीपावली पर शहरों कस्बों व गांवों में अरबों रुपये के पटाखे फोड़ दिए गए। जिससे जहरीला धुआं आसमान में छा गया। दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धुंध का असर दिखा। मंगलवार की सुबह से धुंध छाया रहा। इससे लोगों को काफी परेशानी हुई। चिकित्सक भी इससे बचने की सलाह दे रहे हैं
जासं, कौशांबी : दीपावली पर शहरों कस्बों व गांवों में अरबों रुपये के पटाखे फोड़ दिए गए। जिससे जहरीला धुआं आसमान में छा गया। दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धुंध का असर दिखा। मंगलवार की सुबह से धुंध छाया रहा। इससे लोगों को काफी परेशानी हुई। चिकित्सक भी इससे बचने की सलाह दे रहे हैं।
मंगलवार भोर से जिले में स्मॉग का असर देखने को मिला। आसमान में धुंध छाने की वजह से जहां आंखों पर बुरा असर पड़ा। वही वाहन चालकों को काफी परेशानी हुई। स्मॉग के कारण सड़क पर निकलने वाले लोगों की आंखों में जलन हो रही थी। पर्यावरण दूषित होने की वजह से दुकानदार व सड़क पर चलने वाले लोग भी परेशान रहे। हाईवे पर लोग वाहनों की लाइट जलाकर चल रहे थे। जहरीली हवा के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
दृश्यता हुई कम : वातावरण में फैले स्मॉग की वजह से मंगलवार को सामान्य दिनों की अपेक्षा दृश्यता काफी कम रही। बाइक और स्कूटी पर चलते समय आंखों में जलन महसूस हुई। वाहन चालक हेलमेट, चश्मे और मुंह पर मास्क लगाकर जाते दिखाई दिए। सूर्य देवता के भी दर्शन दोपहर दो बजे के बाद हुए। चिकित्सकों की मानें तो सुबह-शाम की हवा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बाहर निकलते समय मास्क और चश्मे का प्रयोग अवश्य करें। ऐसे करें बचाव
- स्मॉग होने पर संभव हो तो घर से न निकलें।
- घर से बाहर निकलते समय नाक और मुंह ढंक कर रखें।
-अधिक तेल युक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से बचें।
- कोई भी परेशानी होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।
- खुले में न लेटे ं और सर्दी से बचाव अवश्य करें।
- अधिक ट्रैफिक होने पर जाम के बीच से निकलने से बचें।
- मार्निंग वाक पर कम निकलें और प्रकृति के बीच गहरी सांस लें।
- योग, प्राणायाम और व्यायाम को प्रतिदिन करें।
- निजी वाहन की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक प्रयोग करें। दीपावली में फोड़े गए पटाखे व खेतों में पराली जलाने की वजह से हवा जहरीली हुई है। मंगलवार को जिले में स्मॉग का असर देखा गया। वातावरण प्रदूषित होने की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
- डॉ. मनोज सिंह, कृषि वैज्ञानिक