डार्कजोन पर भारी पड़ रहा तालाबों पर अवैध कब्जा
जिले में कुल 2825 तालाब हैं। समाजसेवियों के अनुसार अभी 1200 से अधिक तालाबों परअवैध कब्जा है। माफिया तालाबों को पाटकर मकान व खेती कर रहे हैं। जिन तालाबों पर अवैध तरीके से कब्जा है। उसमें जिला मुख्यालय मंझनपुर नगर पालिका परिषद भरवारी नगर पंचायत अजुहा नगर पंचायत करारी मंझनपुर तहसील क्षेत्र के ऊनो कुलौली सिराथू तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत नारा चक गांव व चायल तहसील का क्षेत्र के आलमपुर नूरपुरहाजीपुर रेही बूंदा बिलासपुर आदि गांवों के तालाब प्रमुख हैं। शासन के निर्देश पर दो वर्ष पूर्व तालाबों को खाली कराने के लिए तहसील प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया था। जो महज खाना पूर्ति बन कर रह गया। किसी तालाब में मकान बनवा लिया गया है तो कहीं खेती की जा रही है।
जासं, कौशांबी : जनपद के भूगर्भ जल स्तर में सुधार लाने के लिए बारिश के पानी का संचयन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए तालाबों की खोदाई व चेकडैम का निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है, लेकिन जिले के अधिकतर तालाबों में अवैध कब्जा है। कई तालाबों में तो माफिया ने आलीशान मकान भी बना लिए हैं। इसकी वजह से बारिश के पानी का संचयन नहीं हो पा रहा है और जिले का भूगर्भ जलस्तर लगातार गिर रहा है। इसके चलते डार्कजोन में सुधार नहीं हो पा रहा है।
जिले में कुल 2825 तालाब हैं। समाजसेवियों के अनुसार अभी 1200 से अधिक तालाबों परअवैध कब्जा है। माफिया तालाबों को पाटकर मकान व खेती कर रहे हैं। जिन तालाबों पर अवैध तरीके से कब्जा है। उसमें जिला मुख्यालय मंझनपुर, नगर पालिका परिषद भरवारी, नगर पंचायत अजुहा, नगर पंचायत करारी, मंझनपुर तहसील क्षेत्र के ऊनो, कुलौली, सिराथू तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत नारा, चक गांव व चायल तहसील का क्षेत्र के आलमपुर, नूरपुरहाजीपुर, रेही, बूंदा, बिलासपुर आदि गांवों के तालाब प्रमुख हैं। शासन के निर्देश पर दो वर्ष पूर्व तालाबों को खाली कराने के लिए तहसील प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया था। जो महज खाना पूर्ति बन कर रह गया। किसी तालाब में मकान बनवा लिया गया है तो कहीं खेती की जा रही है। तालाबों पर अवैध कब्जा होने के कारण बारिश के पानी का संचयन नहीं हो पा रहा है, जबकि एक माह पूर्व कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में डीएम मनीष कुमार वर्मा ने विभागाध्यक्षों को हिदायत दी थी। डार्क जोन से जनपद के मुक्त कराने के लिए बारिश के पानी को इकट्ठा करना होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। विकास खंड मंझनपुर, सिराथू, चायल, मूरतगंज, कड़ा व नेवादा कार्ड जोन है। इन ब्लाकों का भूजल स्तर काफी गिर गया है। इससे लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। 28 बीघे तालाब पर खतरा
भरवारी कस्बा स्थित तालाब पर आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों ने इस कस्बे के तालाबों पर अतिक्रमण कर लिया है जिसको देखते हुए छोटे-मोटे लोग भी तालाबों का नक्शा बदलने में सक्रिय हैं। अतिक्रमण से कई तालाब तो पूरी तरह से अस्तित्व विहीन हो गए। यहां कुल चार तालाब बचे हैं जिनका क्षेत्रफल तकरीबन 28 बीघे है। रिहायशी क्षेत्र में होने के कारण इनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। तालाबों का अस्तित्व जो कागजों पर है उसके मुताबिक गौरा का धौरहा तालाब 18 बीघे का है। मौजूदा समय में 10 बीघा भी नहीं बचा होगा। नैतारा तालाब वार्ड नंबर 4 गौरा में स्थित है। डेढ़ बीघा का यह तालाब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। वार्ड नंबर 11 में पांच बीघे का तालाब सिमट कर अब ढाई बीघा ही बचा है। चेकडैमों की शुरू हुई जांच
डार्कजोन कौशांबी का भू गर्भ जल स्तर सुधारने के लिए लघु सिचाई विभाग की ओर से पिछले वर्ष ससुरगदेरी में चार चेकडैम का निर्माण कराया गया था। ठेकेदारों ने चेकडैपों के निर्माण में भारी गड़बड़ी किया था। शिकायत पर मुख्य विकास अधिकारी ने पिछले वर्ष बनाई गई चेकडैप की जांच शुरू करा दिया है।
वर्जन
तालाबों में अवैध कब्जे की शिकायत मिली है, जिसके आधार पर अतिक्रमण हटाने के लिए सभी एसडीएम को निर्देश दिया है। सभी तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाएगा।
मनोज कुमार, एडीएम