Move to Jagran APP

बदहाल आदर्श तालाबों का हो कायाकल्प तो जल संचय को मिले बढ़ावा, पांच करोड़ से 438 गांवों में बनाए गए थे आदर्श तालाब

वर्षा जल संचय के लिए जनपद की ग्राम पंचायतों में एक दशक पूर्व सवा पांच करोड़ की लागत से ग्राम पंचायतों में बनाए गए थे। लाखों की लागत से वर्ष बनाए गए अधिकतर आदर्श तालाब देखरेख के अभाव में बदहाल हो गए हैं। तालाब की चहारदीवारी की ईंटे व लगाए गए गेट भी गायब हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 10:03 PM (IST)
बदहाल आदर्श तालाबों का हो कायाकल्प तो जल संचय को मिले बढ़ावा, पांच करोड़ से 438 गांवों में बनाए गए थे आदर्श तालाब
बदहाल आदर्श तालाबों का हो कायाकल्प तो जल संचय को मिले बढ़ावा, पांच करोड़ से 438 गांवों में बनाए गए थे आदर्श तालाब

कौशांबी। वर्षा जल संचय के लिए जनपद की ग्राम पंचायतों में एक दशक पूर्व सवा पांच करोड़ की लागत से ग्राम पंचायतों में बनाए गए थे। लाखों की लागत से वर्ष बनाए गए अधिकतर आदर्श तालाब देखरेख के अभाव में बदहाल हो गए हैं। तालाब की चहारदीवारी की ईंटे व लगाए गए गेट भी गायब हो गए हैं। यही नहीं तालाबों का दायरा भी कम हो रहा है। ऐसे में वर्षा जल का संचय सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। यदि इन तालाबों की ओर ध्यान दिया जाए तो वर्षा जल का सही तरीके से संचयन हो सकता है।

prime article banner

पर्याप्त बारिश न होने व लगातार हो रहे भूगर्भ जल दोहन की वजह से जनपद का भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। जिसे सुधारने के लिए सरकार प्रयासरत है। शासन के निर्देश पर तालाबों की खुदाई, मेड़ बंदी व चेकडैम निर्माण कराया जा रहा है। वर्ष 2010 में जिले की 438 गांवों में आदर्श तालाब बनाया गया। तालाबों की खोदाई कराने के बाद उनकी चहारदीवारी भी कराई गई और गेट भी लगाया गया। मनरेगा के तहत आदर्श तालाबों का निर्माण कराने में करीब सवा पांच करोड़ रुपये खर्च हुआ है। कभी यह तालाब ग्रामीणों के लिए आकर्षण का केंद्र थे, लेकिन प्रधान व सचिव की अनदेखी की वजह से अधिकतर आदर्श तालाब बदहाल हो गए। इसमें विकास खंड मूरतगंज का बरई सलेम, सैता, विकास खंड नेवादा के पूरे हजारी, सेवथा, तिल्हापुर, चंदूपुर, विकास खंड चायल का फरीद सलेमपुर, निजामपुर कुरौनी, विकास खंड सिराथू का बारात फारिक, सेहिया आदि ग्राम पंचायतों में बनाए गए आदर्श तालाब शामिल है। ग्राम पंचायत बरई सलेम के मुन्नालाल, प्रदीप व पवन का कहना है कि एक दशक वर्ष पूर्व गांव में आदर्श तालाब बनाया गया था। इसमें करीब आठ लाख रुपये मनरेगा से खर्च भी हुआ था। निर्माण के दो वर्ष बाद

तालाब की सीढ़ी टूट गई थी। अब तालाब पूरी तरह से बदहाल हो गए हैं। गर्मी के दिनों में पानी नहीं रहता है। इसकी वजह से मवेशियों को पानी के संकट से जूझना पड़ता है। साथ ही आगलगी जैसी घटनाओं में काबू पाना मुश्किल हो रहा है। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने प्रधान, सचिव व खंड विकास अधिकारी से की गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। करोड़ों की लागत से बनाए गए तालाबों की ओर यदि पुन: ध्यान दिया जाए तो जल संचय को उर्जा मिल सकती है। चोरी हुए गेट की नहीं दर्ज कराई रिपोर्ट

जिले की 438 गांवों में आदर्श तालाब बनाए गए थे। चहारदीवारी तोड़कर ईंट गायब कर दी गई। साथ ही लाखों की लागत से लगाए गए गेट भी चोरी हो गए हैं। इसकी शिकायत ग्रामीणों ने प्रधान व सचिव से की थी। इसके बाद भी चोरी हुए गेट की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। सीडीओ शशिकांत त्रिपाठी का कहना है कि आदर्श तालाबों की देखरेख करने की जिम्मेदारी प्रधान व सचिव को दी गई थी। यदि तालाबों का गेट चोरी हुए हैं। इसकी जानकारी नहीं थी यदि ऐसा है तो खंड विकास अधिकारी से रिपोर्ट मांगी जाएगी। बदहाल हुए आदर्श तालाबों की स्थित सुधारने के लिए ठोस कदम उठाया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.