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मौत के बाद स्वीकृत हुआ आवास, निकली दो किश्त

नीरज ¨सह, कौशांबी : प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिले में तैनात अधिकारियों तक ने खेल किया। नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को लाभ पहुंचाया। मंझनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत पाता ग्रामीण का मजरा महुआ खड़ा गांव में मृतक के नाम आवास स्वीकृत किया गया। कुछ महीनों के अंतराल पर एक के बाद एक लगातार दो किश्तों में उसके खाते में धनराशि भेजी गई। स्टेट बैंक से भेजी गई किश्त को भी निकाली। अधिकारियों के पास इस संबंध में कोई सही जवाब नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 11:35 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 11:35 PM (IST)
मौत के बाद स्वीकृत हुआ आवास, निकली दो किश्त
मौत के बाद स्वीकृत हुआ आवास, निकली दो किश्त

नीरज ¨सह, कौशांबी : प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिले में तैनात अधिकारियों तक ने खेल किया। नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को लाभ पहुंचाया। मंझनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत पाता ग्रामीण का मजरा महुआ खड़ा गांव में मृतक के नाम आवास स्वीकृत किया गया। कुछ महीनों के अंतराल पर एक के बाद एक लगातार दो किश्तों में उसके खाते में धनराशि भेजी गई। स्टेट बैंक से भेजी गई किश्त को भी निकाली। अधिकारियों के पास इस संबंध में कोई सही जवाब नहीं है।

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पाता ग्रामीण निवासी रामलखन पुत्र बलदेव की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। इस पर उसने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया। आवास योजना का लाभ उसे मिल पाता। इससे पहले की 30 जुलाई 2017 को सकी मौत हो गई। रामलखन की मौत के 22 दिन बाद उसके नाम से आवास स्वीकृत हो गया। तत्कालीन बीडीओ के तौर पर परियोजना निदेशक डीआरडीए राजेश कुमार मिश्र को प्रभार था। उन्होंने बीडीओ बनकर आवास स्वीकृत किया। इसके बाद पीडी के पद पर रहते हुए आवास निर्माण के लिए धनराशि भेजने का आदेश भी जारी कर दिया। ब्लाक व जिले में उनके रहने के कारण इस गड़बड़ी झाले को लेकर किसी ने आवाज भी नहीं उठाई। रामलखन के खाते में आवास निर्माण के लिए पहली किश्त 16 सितंबर 2017 व दूसरी किश्त 14 मार्च 2018 को भेजी गई। जो उसके खाते से निकाल भी गई। रामलखन की मौत के बाद उसके खाते से धनराशि कैसे निकली यह अधिकारियों की सक्रियता पर सवाल खड़ा करता है। रामलखन के खाते में आवास निर्माण की तीसरी किश्त जाती। इससे पहले पीडी के पास से ब्लाक का प्रभार ले लिया गया। उनके स्थान पर अखिलेश तिवारी को बीडीओ बनाया गया। मामला उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने तीसरी किश्त जारी करने पर रोक लगा दी। साथ ही बिना नाम परिवर्तन किए किश्त जारी करने से इन्कार कर दिया। बीडीओ की रोक के बाद मामला लोगों की जानकारी में आ सका। अब अधिकारी नाम परिवर्तन की प्रक्रिया कर रहे हैं।

कहते हैं जिम्मेदार

- रामलखन की मौत होने के बाद उसके पुत्र परदेशी के नाम दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। मौत के बाद आवास दिए जाने जैसी कोई जानकारी नहीं है। बोर्ड परीक्षा की व्यस्तता है। यहां से कार्यालय पहुंचकर पत्रावली को देखने के बाद ही कुछ कहना संभव होगा।

राजेश कुमार मिश्र, पीडी डीआरडीए कौशांबी रामलखन के नाम पर आवास स्वीकृत हुआ है। अब उसकी मौत के बाद पहुंच या पहले यह बता पाना संभव नहीं है अभी अन्य कामों की व्यस्तता है।

- मोहम्मद नसर, सचिव पाता ग्रामीण।


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