कागज पर हो रहा है स्वास्थ्य परीक्षण, बिगड़ रही सेहत
जासं, कौशांबी : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत शून्य से 19 वर्ष तक के लोगों का स्वास्थ
जासं, कौशांबी : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत शून्य से 19 वर्ष तक के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए जिले में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की 16 टीमें गठित की गई हैं। स्वास्थ्य परीक्षण व इलाज के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन ये अभियान महज कागज पर ही चल है। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गठित अधिकतर टीमें अस्पताल में ही बैठकर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
बच्चों व किशोरों को स्वस्थ रखने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना लागू की थी। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों व कालेजों में पंजीकृत छात्र व छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए सीएचसी पीएचसी में दो-दो टीमों गठित की गई हैं। हर टीम में दो-दो चिकित्सक व दो-दो स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सिराथू के गो¨वदपुर गोरियों गांव शमसाबाद गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना था, लेकिन टीम नहीं पहुंची।
सांसद का भी नहीं रहा खौफ
आदर्श गांव शमसाबाद में चार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के तहत तीन से छह वर्ष तक बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए चिकित्सकों की टीम को पहुंचना था, लेकिन टीम नहीं पहुंची। सांसद का आदर्श गांव के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण में फर्जीवाड़ा किया गया है। टीम के न पहुंचने से ग्रामीणों में नाराजगी है।
कहते हैं कार्यकर्ता
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरस्वती देवी ने बताया कि उनके केंद्र में 46 बच्चे, सावित्री देवी के केंद्र में 70 बच्चे, सरोज देवी के केंद्र में 30 बच्चे, शकुंतला के केंद्र में 71 बच्चे पंजीकृत हैं। केंद्रों में पंजीकृत बच्चों का परीक्षण के लिए चिकित्सकों की टीम आएगी। इसकी सूचना बाल विकास परियोजना कार्यालय से पिछले सप्ताह मिली है, लेकिन टीम नहीं पहुंची।
कहते हैं सीएमओ
मुख्य चिकित्साधिकारी पीए चतुर्वेदी का कहना है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना में गड़बड़ी की जा रही है। नोडल अधिकारी बदले गए हैं। यदि बुधवार को चिकित्सकों की टीम बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण की फर्जी रिपोर्ट दी गई है तो इसकी जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई भी जाएगी।