अकीदत के साथ अदा की अलविदा की नमाज
जागरण टीम, कौशांबी : रमजान के पवित्र महीने में सभी इबादतों के साथ जुमे की नमाज का विशेष महत्व है। खासतौर पर रम•ानुल मुबारक का अंतिम शुक्रवार जो अलविदा जुमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन नमाज अदा करके मांगीं दुआएं मकबूल होती हैं। रोजे की हालात में जुमा नमाज के लिए लोग जामा मस्जिद में एकत्र होकर नमाज पढ़ी। जिला मुख्यालय में स्थित मंझनपुर के शिया जामा मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने नमाज अदा की। इस दौरान मौलाना कौशर अब्बास रिजवी ने मुल्क की सलामती की दुआ की।
जागरण टीम, कौशांबी : रमजान के पवित्र महीने में सभी इबादतों के साथ जुमे की नमाज का विशेष महत्व है। खासतौर पर रम•ानुल मुबारक का अंतिम शुक्रवार जो अलविदा जुमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन नमाज अदा करके मांगीं दुआएं मकबूल होती हैं। रोजे की हालात में जुमा नमाज के लिए लोग जामा मस्जिद में एकत्र होकर नमाज पढ़ी। जिला मुख्यालय में स्थित मंझनपुर के शिया जामा मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने नमाज अदा की। इस दौरान मौलाना कौशर अब्बास रिजवी ने मुल्क की सलामती की दुआ की।
कड़ा के दारानगर कस्बे में भी शिया समुदाय के लोगों ने सैय्यदवाड़ा की शिया जामा मस्जिद में अलविदा की नमा•ा अदा की। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर सीओ सिराथू अंशुमान मिश्रा और कोतवाली सैनी के इंस्पेक्टर मयफोर्स के मौके पर मौजूद रहे। जुमातुल विदा की नमाज पेश इमाम मौलाना हुसैन अब्बास ने अदा कराई। नमाज से पहले मौलाना ने खुतबे में तकवा पर चलने की नसीहत की। इस दौरान हसनैन साहब, बाकर अली, अबरार, कासिम सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए। इसके अलावा जेल में भी नमाज अदा की। वहां पर कई बंदी और कैदी रोजा रख रहे हैं। इन लोगों को नमाज पढ़ाने के लिए नेवारी के मौलवी मोहम्मद असद अली और शाफिक आए थे। इन लोगों ने अलविदा की नमाज पढ़ाई। प्रभारी जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने बताया 65 बंदी व कैदी रोजा रख रहे हैं। इस अवसर पर शादाब, नित्यानन्द पाण्डेय, पंकज शर्मा, शुभम पाण्डेय आदि थे।
अलविदा की नमाज पर अमन और चैन की मांगी दुआएं
संसू, चायल : रमजान माह के आखिरी जुमा की नमाज जामा मस्जिद में पढ़ी गई। आज खासकर शिया समुदाय लोगों ने अलविदा की नमाज अदा की। शुक्रवार को रोजदारों ने रमजान के आखिरी जुमा अलविदा की नमाज बड़े अदब और एहतेराम के साथ अदा की। नमाज के बाद मौलाना ने देश में अमन चैन और सलामती की दुआएं कीं। 17 मई से रोजा रखने वाले रोजदारों ने अलविदा की नमाज पढ़ी। जबकि 18 मई से रोजा रखने वालों ने जुमा की तरह नमाज पढ़ी। शहर काजी अहमद हबीब का कहना है कि जब रमजान का चांद नजर नहीं आया था तो 17 मई से रोजा रखने का कोई मतलब ही नहीं था। इसलिए बरेलवी मसलक के मानने वालों ने अलविदा की नमाज नहीं पढ़ी। मौलाना मोहम्मद असद का कहना है कि देवबंद मसलक के मानने वालों ने अपने रहनुमाओं के एलान के मुताबिक 17 मई से रोजा रखा। उस हिसाब से उन लोगों ने अलविदा की नमाज अदा की। शिया समुदाय और अहले हदीस के मानने वालों ने भी अलविदा की नमाज पढ़ी। क्षेत्र के चायल, कसेंदा, सैयद सरावां, महगांव, काठगांव, सल्लाहपुर, हटवा, असरौली, सराय अकिल, मुस्तफाबाद आदि गांवों में ही अलविदा की नमाज पढ़ी गई।
नमाज के बाद मौलाना ने लगाए पौधे
जासं, कौशांबी : नमाज अदा कराने के बाद मौलाना ने हरियाली का संदेश देते हुए बीएसए कार्यालय के सामने पौधरोपण किया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने स्थित स्मृति वन बनाया गया है। मौलाना मौलाना जहीर अब्बास व डीएफओ ओपी अंबष्ट ने पौधरोपण किया। इन लोगों ने पीपल, शीशम, नीम आदि के पांच पौधे लगाए। उन्होंने पौधरोपण का संदेश देते हुए कहा कि सभी समुदाय और धर्म के लोग पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आए और अधिक से अधिक पौधे लगाएं। धरती को बचाने के लिए अपना सहयोग प्रदान करें।