हैंडपंपों के रिबोर में किया लाखों का खेल
जासं कौशांबी जिले में हैंडपंप रिबोर के नाम पर ग्राम पंचायतों ने लाखों का खेल किया है। ग्रामीणों की मानें तो अधिकतर हैंडपंपों की मानक के अनुरूप बोरिग नहीं कराई गई है। इससे कई हैंडपंप रिबोर के बाद भी पानी नहीं दिए हैं। अधिकारी भी बगैर जांच पड़ताल के रुपये निकाल दिए हैं। हैंडपंप के रिबोर में हुए खर्च की जानकारी आरटीआइ से मांग गई तो गड़बड़ी करने वालों में हड़कंप मच गया।
जासं, कौशांबी : जिले में हैंडपंप रिबोर के नाम पर ग्राम पंचायतों ने लाखों का खेल किया है। ग्रामीणों की मानें तो अधिकतर हैंडपंपों की मानक के अनुरूप बोरिग नहीं कराई गई है। इससे कई हैंडपंप रिबोर के बाद भी पानी नहीं दिए हैं। अधिकारी भी बगैर जांच पड़ताल के रुपये निकाल दिए हैं। हैंडपंप के रिबोर में हुए खर्च की जानकारी आरटीआइ से मांग गई तो गड़बड़ी करने वालों में हड़कंप मच गया।
भूजल स्तर गिरने के कारण जनपद के छह विकास खंडों को वर्ष 2010 में डार्कजोन घोषित किया गया है। इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए अधिकतर हैंडपंप पानी देना बंदकर दिए थे। ग्रामीणों की शिकायत पर पानी न देने वाले हैंडपंपों की पुन: बोरिग कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों दी गई है। बीते डेढ़ साल में प्रधान व सचिव के स्तर से 2370 हैंडपंपों की बोरिग कराई गई। पंचायत निधि के खाते से हैंडपंप बोरिग के नाम पर करीब 10 करोड़ रुपये निकाले गए। ग्रामीणों की मानें तो बोरिग के बाद भी कई हैंडपंपों ने पानी नहीं दिया। उदाहरण के लिए सिराथू ब्लाक के रूपनारायणपुर गोरियों गांव में विनय सोनकर के घर के सामने रिबोर हुए हैंडपंप को देखा। बोरिग कराने के बाद हैंडपंप ने पानी नहीं दिया, जिसको लेकर विनय सोनकर करीब छह माह तक परेशान रहे। डीपीआरओ से प्रकरण की शिकायत किया तो एडीओ पंचायत मौके पर पहुंचकर जांच किया। शिकायत सही पाई गई। एडीओ के निर्देश के बाद हैंडपंप को सुधारा गया। इसी प्रकार मूरतगंज, चायल, सिराथू व सरसवां विकास खंड क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की बोरिग में गड़बड़ी की गई है। हैंडपंपों की बोरिग में हुई गड़बड़ी को लेकर भरसवां निवासी पप्पू मिश्रा ने सूचना के अधिकार का प्रयोग किया। उन्होंने जिला विकास अधिकारी से हर ब्लाक से हैंडपंप रिबोर से जुड़ी जानकारी मांगी है। साथ ही कहा है कि वह यह भी बताए कि रिबोर से निकला सामान का गोदाम कहां बना है। आरटीआइ का प्रयोग होने के बाद से जिला स्तर के अधिकारी ब्यौरा जुटा रहे हैं।