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मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म होते ही गूंजा जय श्री राम

संसू, करारी : करारी की रामलीला में गुरुवार रात राम जन्म व मुनि आगमन की लीला का मंचन किया गया। कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान जय श्रीराम के जयघोष से इलाके का माहौल भक्तिमय हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 09:01 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 09:01 PM (IST)
मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म होते ही गूंजा जय श्री राम
मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म होते ही गूंजा जय श्री राम

संसू, करारी : करारी की रामलीला में गुरुवार रात राम जन्म व मुनि आगमन की लीला का मंचन किया गया। कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान जय श्रीराम के जयघोष से इलाके का माहौल भक्तिमय हो गया।

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अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट दशरथ को पुत्र नहीं होने की ग्लानि होती है। इस पर वह अपने कुल गुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। इसके बाद पुत्रेष्टि यज्ञ कराया जाता है। उसके फलस्वरूप राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार संताने होती हैं। परम सत्ता प्रभु श्रीराम का जन्म होते ही पूरी दर्शक दीर्घा जयकारों से गूंज उठी। उधर, दूसरी ओर जंगलों में राक्षसों का आतंक सिर चढ़कर बोलने लगता है। दानवों के आतंक से ऋषि-मुनियों का जीना मुश्किल हो जाता है। धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं हो पाते हैं। राक्षसों का वध व धर्म रक्षा करने के लिए विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण को साथ ले जाने की खातिर राजा दशरथ के पास आते हैं। न चाहते हुए भी दशरथ अपने दोनों लालों को विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। करारी की रामलीला में ट्रस्टी रमेश चंद्र शर्मा, अध्यक्ष सुनील जायसवाल, बच्चा ¨सह कुशवाहा, श्याम सुंदर मोतीलाल चौरसिया केसरवानी, श्याम स्वरूप गौड़, कल्लू, राम चौरसिया आदि मौजूद रहे।

शिव धनुष टूटते ही सीता ने राम को पहनाई वरमाला

संसू, अझुवा : नगर पंचायत अझुवा में चल रही रामलीला में गुरुवार को सीता स्वयंवर का आकर्षण मंचन किया गया। इस दौरान रावण बाणासुर संवाद, परशुराम-लक्ष्मण संवाद व राम वनगमन की लीलाओं का भी मंचन हुआ। जिसे देखकर बैठे श्रोता आंनदित हो उठे।

अझुवा में मुकुट पूजन के बाद शुरू हुई रामलीला में गुरुवार को सीता स्वयंवर, रावण बाणासुर संवाद, लक्ष्मण परशुराम संवाद की लीला का मंचन किया गया। सीता के विवाह के लिए मिथला नरेश राजा जनक स्वयंवर का आयोजन किया। जिसमें विवाह की शर्त शिव की धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना रखी गई। इस स्वयंवर में देश भर के हजारों राजाओं ने प्रतिभाग किया। सभी ने अपनी-अपनी बारी आने पर जोर आजमाइश की लेकिन किसी ने धनुष को हिला तक नहीं पाया। यह देखकर राजा जनक क्रोधित हो उठे और उन्होने कहा कि- क्या यह धरती वीरों से खाली है। यह बात सुनकर गुरू विश्वामित्र से आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष को उठा लेते हैं और प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष टूट गया। शर्त के अनुसार सीता भगवान राम के वरमाला डाल देती है। यह देखकर मौजूद परशुराम क्रोधित हो उठे। जिससे लक्ष्मण काफी देर तक संवाद करते हैं। संवाद में परशुराम लक्ष्मण के हांथ जोड़ लेता है। जिसके बाद अन्य लीलाओं का मंचन किया गया। इसे देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांव के लोग उपस्थित रहे। जिसके बाद अन्य लीला भी आयोजित हुई। इसे देखने के लिए हजारों लोग उपस्थित रहे। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार बड़का, गुलाब कुशवाहा, आशीष मोदनवाल, रवि वैश्य, फूलचंद केसरवानी, अनिल बाबा, राजू, पप्पू आदि उपस्थित रहे।


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