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जेल जाने के बाद भी कम नहीं हुआ आजादी का जुनून

र¨वद्रकांत पांडेय, भरवारी : देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए कई दिनों ने अपने प्राण गंवाए तो कइयों ने सजा काटी। इसके बाद भी देश की आजादी का जुनून उनमें कम नहीं हुआ। इसमें नगर पालिका परिषद भरवारी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधायक मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर शामिल हैं। इन्हें प्रशासन ने तो भुला दिया है, लेकिन जनपद वासी आज भी याद करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 11:18 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 11:18 PM (IST)
जेल जाने के बाद भी कम नहीं हुआ आजादी का जुनून
जेल जाने के बाद भी कम नहीं हुआ आजादी का जुनून

र¨वद्रकांत पांडेय, भरवारी : देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए कई दिनों ने अपने प्राण गंवाए तो कइयों ने सजा काटी। इसके बाद भी देश की आजादी का जुनून उनमें कम नहीं हुआ। इसमें नगर पालिका परिषद भरवारी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधायक मंगला प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मन मास्टर शामिल हैं। इन्हें प्रशासन ने तो भुला दिया है, लेकिन जनपद वासी आज भी याद करते हैं।

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जनपद के हिसामबाद गढ़वा में सात अक्टूबर 1916 में जन्म लेने वाले उक्त वीर सेनानी का काफी समय समाज सेवा के रूप में मूरतगंज के पास स्थित नादिरगंज काशिया ननिहाल में बीता। इनके पिता का नाम सूरज पाल तिवारी व माता का नाम महारानी तिवारी था। मंगला प्रसाद तिवारी कलकत्ता (अब कोलकाता) विश्वविद्यालय से 1942 में बी काम की डिग्री हासिल करने के बाद देश की आजादी की लड़ाई में शामिल होकर सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरू के दिशा निर्देशों पर चलने लगे। इससे कुपित होकर अंग्रेज हुक्मरानों ने उक्त वीर सेनानी को पहली बार 1942 में रात के समय एक बैठक में जाते वख्त गिरफ्तार कर 10 माह की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। दस माह जेल की सजा काटने के बाद यह युवा पुन: सुभाष चंद्र बोष के नेतृत्व में अलग अलग सभाओं में अपनी ओजस्वी भाषण के जरिए अंग्रेजों की नींद हराम कर दी। फिरंगी सरकार इन कृत्यों से खीझकर पुन: 1943 में दो माह के लिए जेल में डाल दिया। इसी तरह देश की आजादी मिलने तक उक्त वीर सेनानी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी जाती रही लेकिन बाद में अंग्रेजी सेना इन्हें पकड़ने में नाकाम रही। इनकी वाक्पटुता व जर्मन भाषा का ज्ञान होने के कारण ही इन्हें पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जर्मन मास्टर के नाम की उपाधि दी थी। नगर पंचायत भरवारी में समाजसेवी के रूप में आकर 1950 में नेशनल इंटर कॉलेज की स्थापना की तथा 1967 में सिराथू विधान सभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसी तरह जिला पंचायत इलाहाबाद (प्रयागराज) एवं डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक फेडरेशन के उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश कोऑपरेशन फेडरेशन के संचालक के अतिरिक्त भी कई अन्य पदों पर रहे। अपने कार्यों का बखूबी निर्वहन किए तथा 21 अप्रैल 2004 को हमेशा के इस दुनिया को अलविदा कर गये। भरवारी बद्री प्रसाद केसरवानी का कहना है कि व्यक्तित्व के धनी उक्त वीर सेनानी के नाम को जिला प्रशासन भुला दिया है जो काफी दुखद है। आजादी के दीवाने रवि नारायण तिवारी व शिक्षक अशोक कुमार तिवारी को मलाल है कि देश की आजादी के लिए अपने को समर्पित करने वाले उक्त वीर सेनानी की स्मृति में जिला प्रशासन ने कुछ भी नहीं किय।


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