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औषधीय पौधों में बढ़ी किसानों की दिलचस्पी

जासं कौशांबी जिले में औषधीय पौधों को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को अनुदान भ्दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 10:26 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 10:26 PM (IST)
औषधीय पौधों में बढ़ी किसानों की दिलचस्पी
औषधीय पौधों में बढ़ी किसानों की दिलचस्पी

जासं, कौशांबी : जिले में औषधीय पौधों को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है। इसको खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग भी जागरूक कर रहा है। राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के तहत किसानों को तुलसी, एलोवेरा और सतावर लगाने के लिए अनुदान भी दिया जाता है। खेतों के अलावा लोग घरों में भी औषधीय पौधे लगा रहे हैं। पौधों की बिक्री कर लाभ कमाने के साथ ही अपनी सेहत भी सुधार रहे हैं।

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हाईटेक युग में औषधीय पौधों मे लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। आम, पीपल, बेल, नीम के पेड़ लगाने वालों की संख्या कम हुई है, लेकिन औषधीय पौधे लगाने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के तहत 2015-16 से जिले के किसानों को तुलसी, एलोवेरा व सतावर लगाने के लिए प्रेरित कर अनुदान भी दिया जा रहा है। जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र रामभाष्कर ने बताया कि औषधीय खेती के लिए किसानों को विभाग द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जाता है। इस समय जिले के 145 किसान औषधीय खेती कर रहे हैं। मंझनपुर तहसील क्षेत्र के टेंवा के आरपी सिंह ने बताया कि वह 22 बीघे भूमि पर औषधीय पौधों की खेती करते हैं। मंझनपुर के कृष्ण कुमार शर्मा, टेंवा के बीरेंद्र सिंह, ओसा के सुरेश, सिराथू के उमेश मिश्रा भी अपने घर में तुलसी व एलोवेरा के पौधे लगाए हुए हैं। तुलसी की पत्ती से काढ़ा बनाकर पीते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ने में मदद करता है। कृष्ण कुमार शर्मा तो औषधीय पौधों का गुण भी लोगों को बताते हैं।

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तुलसी, एलोवेरा व सतावर के गुण :

औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व भी है। इसके पौधे की पूजा होती है। इसकी पत्ती गुणों की खान है। इसकी पत्ती को लोग भिन्न तरीके से इस्तेमाल करते हैं। पौधा छोटा होने से लोग घर के भीतर गमलों में भी लगाते हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार आदि में तुलसी की पत्ती को चाय में डालकर सेवन करते हैं। इसी तरह से एलोवेरा (घृतकुमारी) का उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में है। कई नामचीन कंपनियां इसके तमाम उत्पाद तैयार कर बाजार में बिक्री कर रही हैं। इसका रस पेट, त्वचा समेत कई बीमारियों में फायदेमंद होता है। सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सतावर का इस्तेमाल स्वास्थ्यवर्धक दवाओं में किया जाता है।


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