औषधीय खेती से भी किसान बदल रहे किस्मत
जनपद के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय फसल उगाकर अपनी किस्मत बदल रहे हैं। उद्यान विभाग भी तुलसी पामरोजा लेमन ग्रास व सतावर जैसी फसलों को उगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसका उन्हें बेहतर परिणाम भी मिल रहा है। अब सफल किसानों को देखकर अन्य लोग भी इस प्रकार की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
जासं, कौशांबी : जनपद के किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय फसल उगाकर अपनी किस्मत बदल रहे हैं। उद्यान विभाग भी तुलसी, पामरोजा, लेमन ग्रास व सतावर जैसी फसलों को उगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसका उन्हें बेहतर परिणाम भी मिल रहा है। अब सफल किसानों को देखकर अन्य लोग भी इस प्रकार की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
फसल में बदलाव कर करीब एक दर्जन से अधिक किसान पारंपरिक खेती के साथ औषधीय खेती को महत्व दे रहे हैं। इस खेती से उन्हें अन्य फसलों की अपेक्षा बेहतर आय हो रही है। सिराथू तहसील के सिघिया गांव के किसान राम बहादुर मौर्य ने बताया कि वह कई सालों से सतावर, पामारोजा, लेमन ग्रास और तुलसी की मिली जुली खेती कर रहे हैं। पारंपरिक खेती से एक हेक्टेयर में 40-50 हजार की बचत होती थी। अब उनकी बचत का ग्राफ करीब दोगुना हो गया है। लोग घर से खरीद ले जाते हैं फसल
ललित यादव ने बताया कि एक हेक्टेयर भूमि पर सतावर की खेती से आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है। लोग संपर्क करके फसल घर से खरीद ले जाते हैं। सतावर 40-50 रुपये प्रति किलो की दर से कच्ची बिकती है। उसे प्रोसेसिग कर बेचा जाए तो 500-600 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा सकता है। पूरी तरह से देखरेख पर आधारित खेती
मंझनपुर के काकराबाद निवासी आशीष मौर्य ने बताया कि रामा व श्यामा दो प्रजाति की तुलसी उगाते हैं। खेती पूरी देखरेख पर आधारित है। जितना ध्यान उतना लाभ है। एक हेक्टेयर में 70-80 लीटर तक तुलसी का तेल निकाला जा सकता है जिसका बाजार मूल्य करीब दो से तीन हजार रुपये प्रति किलो है। इन किसानों ने भी अपनाई औषधीय खेती : राम बहादुर मौर्य सिघिया सिराथू, भानचंद्र यादव व अवधेश पाल रमसहाईपुर सिराथू, ललित यादव शाखा सिराथू, राजेश सिंह नूरपुर नेवादा, अवधेश मिश्र बलीपुर टाटा चायल।
प्रयास है कि अधिक से अधिक किसान योजना का लाभ लेकर औषधीय खेती को अपनाएं। किसानों को इस खेती को शुरू करने से पूर्व विभाग प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- प्रमोद सिंह, उद्यान निरीक्षक व प्रभारी औषधीय खेती।