भक्ति, ज्ञान व वैराग्य से परिपूर्ण हैं श्रीमद्भागवत
संसू चायल स्थानीय तहसील के कमालपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में अंतिम दिन शुक्रवार को जब भागवत ज्ञान का दर्शन कराया गया तो श्रद्धालु एकाग्रचित्त हो गए। भागवत कथा वाचक ने कहा कि भक्ति ज्ञान और वैराग्य से श्रीमद्भागवत परिपूर्ण है। यदि पापी भी इसका श्रवण कर ले तो उसका उद्धार हो जाता है। भागवत कथा में कथा सुनने के लिए शुक्रवार को पंडाल में अच्छी खासी भीड़ उमड़ी।
संसू, चायल : स्थानीय तहसील के कमालपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में अंतिम दिन शुक्रवार को जब भागवत ज्ञान का दर्शन कराया गया तो श्रद्धालु एकाग्रचित्त हो गए। भागवत कथा वाचक ने कहा कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से श्रीमद्भागवत परिपूर्ण है। यदि पापी भी इसका श्रवण कर ले तो उसका उद्धार हो जाता है। भागवत कथा में कथा सुनने के लिए शुक्रवार को पंडाल में अच्छी खासी भीड़ उमड़ी।
कथा वाचक डॉ. श्यामसुंदर पाराशर ने कहा कि श्रीमद्भागवत के श्रवण करने और सत्य धारण से मुक्ति मिलती है। जिस रूप में भगवान को जो भजता है, उसी रूप में भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं। कलियुग के प्रभाव पर बोलते हुए कहा कि इस युग का ऐसा प्रभाव बढ़ा है कि ब्रह्माचर खत्म हो रहा है। स्थितियां उलट हो रही हैं। ऐसे में भागवत कथा का श्रवण जरूरी हो गया है। कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु के साथ कपट और मित्र से चोरी करने वाला व्यक्ति दरिद्र होता है। बताया कि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान सुदामा ने मित्र कृष्ण की नजर बचाकर गुरु के दिए चने अकेले ही खा लिए, जिस कारण वह दरिद्र हुए। सुदामा ने जब पत्नी को कृष्ण की दोस्ती के बारे में बताया तो उन्होंने जीवन निर्वाह के लिए कृष्ण से धन लाने को कहा। द्वारिकापुरी में भगवान कृष्ण ने आंसुओं से उनके पैर धो डाले और अलौकिक वरदान देकर घर भेजा। सुदामा चरित्र का वर्णन व विदाई समारोह में श्रद्धालु भावविभोर हो गए। इस मौके यजमान रामहर्ष सेन सहित क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।