भ्रष्टाचार के आरोपित प्रधानों पर नहीं हो रही कार्रवाई
जासं, कौशांबी : ग्राम के विकास के लिए भेजे गए धन का सही उपयोग प्रधानों व सचिवों ने नहीं किया। गांव के लोगों ने इनकी शिकायत की तो जांच कराई गई। आरोप सही पाए जाने के बाद भी अब तक इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
जासं, कौशांबी : ग्राम के विकास के लिए भेजे गए धन का सही उपयोग प्रधानों व सचिवों ने नहीं किया। गांव के लोगों ने इनकी शिकायत की तो जांच कराई गई। आरोप सही पाए जाने के बाद भी अब तक इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
गांव का विकास हो, गांव के लोगों को छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर परेशान न होना पड़े। इसके लिए ग्राम पंचायतों को धन दिया गया और तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन गांव के लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। प्रधान व सचिव ऐसे लोगों को लाभ दे रहे हैं, जो उनके करीबी है। इसको लेकर में शिकायत हुई। कई मामलों की जांच अधिकारियों ने की और आरोप सही पाया। इसके बाद भी प्रधान के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ गांव में प्रधान को बचाते हुए केवल सचिव के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी गई। जबकि योजनाओं से वंचित रह गए लोगों ने इसकी दोबारा शिकायत की तो भी कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। डीपीआरओ आरपी मिश्रा ने बताया कि जो भी प्रधान दोषी है। उन सब के खिलाफ कार्रवाई होगी। व्यस्तता के कारण पत्रावली लंबित हो रही है।
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इन प्रधानों पर जांच के बाद नहीं हुई कार्रवाई
केस एक : नेवादा ब्लाक के तिलगोड़ी गांव में प्रधान ने अपने चहेते पांच ऐसे लोगों को आवास योजना को लाभ दे दिया जिनको पूर्व में आवास योजना का लाभ मिल चुका था। गांव के लोगों ने इसको लेकर शिकायत की तो पीडी ने गांव पहुंचकर मामले की जांच की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ग्रामीणों के आरोप सही पाया। इसके बाद भी अब तक इस मामले को लेकर प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि पीडी ने कार्रवाई की संस्तुति करते हुए अपनी रिपोर्ट डीपीआरओ के पास भेज दी है।
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केस दो : सिराथू ब्लाक के घटमापुर गांव में प्रधान व सचिव ने मिलकर शौचालय के नाम पर नौ लाख रुपये निकाल लिया। गांव के लोगों की शिकायत पर इसकी जांच हुई। जांच में प्रधान व सचिव मामले को लेकर दोषी मिले। सचिव के खिलाफ तो विभागीय अधिकारियों ने कार्रवाई कर दी, लेकिन अब तक प्रधान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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केस तीन : सरसवां ब्लाक के धवाड़ा गांव के प्रधान ने प्रधानमंत्री आवास के नाम पर गड़बड़ी की गई है। उसने नाम बदलकर सात लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिया। गांव के लोगों ने इसकी शिकायत की तो अधिकारियों ने इसकी जांच की। जांच के बाद प्रधान को इस मामले में दोषी पाया गया। पीडी ने प्रधान के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीपीआरओ को पत्र दिया, लेकिन उन्होंने इस ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसको लेकर उन्होंने रिमाइंडर भी भेजा, लेकिन अब तक डीपीआरओ कार्यालय की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।