Move to Jagran APP

जेब भरने के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी करेंगे ठेकेदार

नीरज सिंह कौशांबी मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है. ये बचपन में गाई गई कविता का हिस्सा है लेकिन समय के साथ साथ मछलियों की संख्या नदियों से कम होती जा रही है। इससे कही पर्यावरण का संतुलन न प्रभावित हो इसके लिए अब सरकार भी चितित है। आने वाले दिनों में मत्स्य आखेट के लिए पट्टा लेने वालों को मछलियों के बीज नदी में डालना होगा। ऐसे न करने वालों को नदी से मछली पकड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसको लेकर शासन की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 11:27 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 06:37 AM (IST)
जेब भरने के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी करेंगे ठेकेदार
जेब भरने के साथ पर्यावरण का संरक्षण भी करेंगे ठेकेदार

नीरज सिंह, कौशांबी : मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है. ये बचपन में गाई गई कविता का हिस्सा है लेकिन समय के साथ साथ मछलियों की संख्या नदियों से कम होती जा रही है। इससे कही पर्यावरण का संतुलन न प्रभावित हो इसके लिए अब सरकार भी चितित है। आने वाले दिनों में मत्स्य आखेट के लिए पट्टा लेने वालों को मछलियों के बीज नदी में डालना होगा। ऐसे न करने वालों को नदी से मछली पकड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसको लेकर शासन की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

loksabha election banner

कौशांबी जिले की दक्षिणी सीमा पर यमुना बहती है। यह नदी चित्रकूट व कौशांबी की सीमा निर्धारण करती है। नदी पर हर साल मछली पकड़ने का ठेका होता है। एक साल कौशांबी तो दूसरे साल चित्रकूट को यह अधिकार मिलता है। इस बार कौशांबी को मछली का ठेका करने का अधिकार मिला है। इसके लिए नदी पर 21-21 हेक्टेयर के घाट बनाए जाएंगे। मुख्य कार्यकारणी अधिकारी मत्स्य अखिलेश रंजन ने बताया कि अब ठेकेदार को हर वर्ष अपने अपने क्षेत्र में मत्स्य बीज डालने होंगे। इसके लिए पूर्व सूचना देनी होगी। जिससे विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर इसका सत्यापन कर सकें। मछलियों की घटती संख्या से चितित है सरकार

नदियों के जल को शुद्ध करने में मछलियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। गंदगी को भी कम करती है। ऐसे में उनकी संख्या कम होना चिता का विषय है। मत्स्य आखेट से सरकार को हर साल करोड़ों की आय होती है जिससे तमाम योजनाओं का संचालन किया जा है। प्रतिबंध के बाद भी होता है शिकार

मत्स्य आखेट जून से अगस्त तक प्रतिबंधित रहता है। माना जाता है कि इन तीन माह में मछलियां बच्चों को जन्म देती हैं। हर वर्ष मत्स्य विभाग इसको लेकर आदेश भी जारी करता है। इसके बाद भी चोरी छिपे नदियों से मछलियों का आखेट होता है। कौशांबी के प्रमुख घाट :

- सरसवां ब्लाक क्षेत्र : ढेराहा गांव की सीमा से महेवाघाट पुल तक, महेवा पुल से कटरी घाट तक, कटरी घाट से सिघवल ग्राम सभा की सीमा तक

- कौशांबी ब्लाक क्षेत्र : पाली से महिला गांव की सीमा तक, धाने गांव से भकंदा गांव की सीमा तक

- नेवादा ब्लाक क्षेत्र : संपूर्ण विकास खंड की सीमा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.