बनपुकरा गांव के लिए चकबंदी बनी मुसीबत
संसू उदहिन चकबंदी के बाद भी गांव के लोग भूमि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। करीब 17 साल से गांव में चल रही चकबंदी अब तक फाइनल होने के कगार पर नहीं पहुंच सकी। अब ग्रामीण इसको लेकर भयभीत है कि कही समस्या का निस्तारण किए बिना ही गांव की चकबंदी पूर्ण न घोषित कर दी जाए।
संसू, उदहिन : चकबंदी के बाद भी गांव के लोग भूमि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। करीब 17 साल से गांव में चल रही चकबंदी अब तक फाइनल होने के कगार पर नहीं पहुंच सकी। अब ग्रामीण इसको लेकर भयभीत है कि कही समस्या का निस्तारण किए बिना ही गांव की चकबंदी पूर्ण न घोषित कर दी जाए।
सिराथू ब्लाक के बनपुकरा मजरे में करीब 17 साल पहले चकबंदी शुरू हुई थी, लेकिन अब तक चकबंदी पूरी नहीं हो सकी। गांव के लोग इसको पूरा करने की मांग लगे समय से कर रही है, लेकिन अब तक अधिकारियों ने इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया। ग्रामीणों के अधिक दबाव पर अधिकारी अब चकबंदी जल्द पूरा करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों को भय है कि बिना काम पूरा किए बिना गांव के रामचंद्र पुत्र छेदीलाल ने डीएम को पत्र देकर बताया है कि उनके गांव का गाटा संख्या 2149 की मौके पर पैमाइश की गई करीब 0.4974 हेक्टेयर ही था। इसी भूमि का कब्जा परिवर्तन हो गया। अब अधिकारियों ने इसी रकबे में दो बीघा दो बिस्वा की चक बना दी गई है। चकबंदी विभाग के कर्मचारी भी इस मामले को लेकर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। रामचंद्र ने यह भी बताया कि गांव में चकबंदी के बाद भी जवई पड़री से बनपुकरा तक चकरोड़ नहीं बनी। इसके कारण भी लोगों को समस्या होगी। रामचंद्र ने डीएम पूर्व में डीएम से शिकायत कर चकबंदी विभाग के लापरवाह कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई व चकबंदी की समस्या का निदान किए जाने की मांग की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया है।