खरीद न होने से कम रेट पर धान बेचने की मजबूरी
जागरण टीम, कौशांबी : किसानों को धान की उपज का वाजिब दाम मिले। सरकार ने 1750 व 1770 रुपये प्रति कुंतल दाम निर्धारित किया है। धान खरीद के लिए जिले में 25 क्रय केंद्र भी बनाए गए हैं। एक नवंबर से धान खरीद के निर्देश भी जारी किए लेकिन अधिकतर केंदों में धान की खरीद शुरू नहीं की गई। मजबूरन किसानों को कम रेट पर उपज को बेचना पड़ रहा है। इसकी शिकायत किसानों ने जनप्रतिनिधि व अधिकारियों से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।
जागरण टीम, कौशांबी : किसानों को धान की उपज का वाजिब दाम मिले। सरकार ने 1750 व 1770 रुपये प्रति कुंतल दाम निर्धारित किया है। धान खरीद के लिए जिले में 25 क्रय केंद्र भी बनाए गए हैं। एक नवंबर से धान खरीद के निर्देश भी जारी किए लेकिन अधिकतर केंदों में धान की खरीद शुरू नहीं की गई। मजबूरन किसानों को कम रेट पर उपज को बेचना पड़ रहा है। इसकी शिकायत किसानों ने जनप्रतिनिधि व अधिकारियों से की थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।
जिलाधिकारी के निर्देश पर अक्टूबर में ही धान खरीद के लिए 25 धान क्रय केंद्र बनाए गए। इसमें कनैली, करारी, मंझनपुर, कड़ा, सरसवां, मूरतगंज, अझुआ, सैनी, सिराथू, शमसाबाद आदि स्थान शामिल हैं सभी केंद्रों में प्रभारियों की तैनाती करते हुए। स्पष्ट निर्देश दिया था कि एक नवंबर से धान की खरीद शुरू कर दी जाए। इसके बाद भी धान की खरीद नहीं की जा रही है। किसानों की मानें तो कम रेट में उन्हें व्यापारियों के हाथ धान की बिक्री करना पड़ रहा है। सिराथू के किसान सोमचंद्र, रवि प्रकाश, टेंवा का शिवलोचन, बनवारी व उमरा के मंजीत आदि का कहना है कि धान खरीद न होने की शिकायत जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा व सांसद विनोद सोनकर से की थी। इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ। किसानों का दर्द
एक नवंबर से तौल कराने का निर्देश पर 14 दिन बीतने के बाद धान की तौल नहीं कराई जा रही है। ह कारण से धान की उपज को लोकल व्यापारी के हाथों बेचना पड़ा।
भानुप्रकाश, हासिमपुर किनार -किसान अच्छी पैदावार करके अच्छा मुनाफा कमाने को हाइब्रिड धान की बोवाई करता लेकिन क्रय केंद्रों पर हाईब्रिड धान की खरीद नहीं होने से नुकसान हो रहा है।
रमाकांत मिश्र, तिल्हापुर क्रय केंद्रों पर एक सप्ताह से धान की तौल नहीं कराई गई। आलू व गेहूं की बोवाई के लिए 1450 रुपये कुंतल की दर से 50 कुंतल धान व्यापारी के हाथों बेचना पड़ा।
दिनेश तिवारी, रुसहाई सरकार किसानों के हित के लिए ध्यान नहीं दे रही है। कड़ी मेहनत के बाद धान की फसल तैयार की है। सरकारी केंद्रों में खरीद न होने के कारण परेशानी हो रही है।
राजू यादव, कसेंदा
मांगों के लेकर कर्मचारी साधन समिति के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। इसकी वह से समितियों में धान की खरीद नहीं हुई। कम दाम में बाजार में बेचना पड़ा।
पउनेश कुमार, कसेंदा
धान की खरीद न होने से गेहूं बोवाई के लिए खाद व बीज खरीदने के लिए रुपये रुपये नहीं है। खाद व बीज के अभाव में गेहूं की बोआई पिछड़ रही है।
विजय ¨सह, कसेंदा मांगों को लेकर मार्के¨टग इंस्पेक्टर व सचिव हड़ताल कर रहे थे। इसकी वजह से अधिकतर धान क्रय केंद्रों में ताला लटक रहा था। बुधवार से हड़ताल समाप्त हो गई है। अब धान की तौल केंद्रों पर कराई जाएगी।
अंशुमाली शंकर, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी।