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दिवाली की तैयारी शुरू, बढ़ गई चाक की गति

संसू, चायल : दीपावली त्योहार नजदीक आते ही मिट्टी के दीपक बनाने में कुम्हार जुट गए हैं। बाजार में भी चाइनीज झालर और मोमबत्तियों भी सजने लगी हैं। दुकानदार रंग बिरंगी झालरों को दुकान के आगे लगा दिए है लेकिन आज भी आम लोगों के लिए मिट्टी के दीये ही खास हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 08:09 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 08:09 PM (IST)
दिवाली की तैयारी शुरू, बढ़ गई चाक की गति
दिवाली की तैयारी शुरू, बढ़ गई चाक की गति

संसू, चायल : दीपावली त्योहार नजदीक आते ही मिट्टी के दीपक बनाने में कुम्हार जुट गए हैं। बाजार में भी चाइनीज झालर और मोमबत्तियों भी सजने लगी हैं। दुकानदार रंग बिरंगी झालरों को दुकान के आगे लगा दिए है लेकिन आज भी आम लोगों के लिए मिट्टी के दीये ही खास हैं।

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सात नवंबर को दीपों का त्योहार दीपावली है। उसके लिए तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है। इस त्योहार पर घर-घर लोग तेल और घी के दीपक जलाकर त्योहार का जश्न मनाते हैं। ऐसे में मिट्टी के दीपक की डिमांड रहती है। वैसे आजकर प्रचलन चाइनीज दीपक भी आ गए है। फिर भी पर्यावरण की ²ष्टि से मिट्टी के दीपक बेहतर होते हैं। दीपावली की डिमांड को देखते हुए इस पेशे से जुड़े लोग दीपक बनाने का काम तेज कर दिए हैं। मिट्टी के दीप बनाने वाले नौआपुर निवासी लालता प्रसाद प्रजापति का कहना है कि चाइनीज लाइटों के मुकाबले परंपरागत मिट्टी के दीपों का प्रचलन गांवों में अधिक है। वह एक दिन में लगभग एक हजार से 12 सौ मिट्टी के दीपक चाक से बना लेते हैं। दीपों को आकर्षक आकार देकर सुखाने और पकाने के बाद इसे बाजार में उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके पीछे कुम्हारों का मकसद पर्यावरण की सुरक्षा के साथ साथ परम्परागत मिट्टी के दीपक लोगों तक पहुंचाना है। इसके साथ हीं सदियों से चली आ रही इस परंपरा को कायम रखना भी है। कुम्हारों को दीये की बिक्री की उम्मीद

मिट्टी का दीपक बनाने वाले राम औतार, लालता प्रसाद और देवराज ने बताया कि इस त्योहार पर लोगों को सस्ते दर पर दीपक उपलब्ध कराए जाएंगे। दीपों के अधिक मात्रा में बनाने के लिए इन सब लोगों ने अपने चाक की स्पीड बढ़ा दी है। जिससे लोगों को मिट्टी के दीपक आसानी से मिल सके। इस बार मिट्टी के दीप 40 रुपये में 100 दीपक आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। देवी देवताओं के लिए मिट्टी के ही दीपक

¨हदू धर्म में मिट्टी के बर्तन को शुद्ध माना गया है। आस्था से जुड़े ज्यादातर लोग मिट्टी के बर्तन ही पूजा पाठ में प्रयोग करते हैं। दीपावली में मिट्टी के दीपक सरसों के तेल से जलाने से पर्यावरण शुद्ध होता है। लोगों का मामना है कि दीपावली के दिन दीपक जलाने से घरों में लक्ष्मी का आगमन होता है।


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