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चरवा में जमीनों की 'लूट' के लिए 2024 तक चकबंदी

प्रमोद यादव, कौशांबी : रुपये-पैसे की लूट सभी ने देखी होगी लेकिन जमीनों की लूट देखनी है तो जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत चरवा में आए। यहां पर सुनियोजित तरीके तालाब, नवीन परती, बंजर, चकरोड आदि पर सरकारी अमले यानि चकबंदी विभाग के सहयोग से कब्जा कराया जा रहा है। लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। विभाग के ही एक अधिकारी ने आंशिक जांच करके मामला उजागर किया तो हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल उस अधिकारी की रिपोर्ट को दरकिनार करके जमीनों की लूट का सिलसिला 2024 तक करने के लिए योजना बना ली गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:16 PM (IST)
चरवा में जमीनों की 'लूट' के लिए 2024 तक चकबंदी
चरवा में जमीनों की 'लूट' के लिए 2024 तक चकबंदी

प्रमोद यादव, कौशांबी : रुपये-पैसे की लूट सभी ने देखी होगी लेकिन जमीनों की लूट देखनी है तो जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत चरवा में आए। यहां पर सुनियोजित तरीके तालाब, नवीन परती, बंजर, चकरोड आदि पर सरकारी अमले यानि चकबंदी विभाग के सहयोग से कब्जा कराया जा रहा है। लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। विभाग के ही एक अधिकारी ने आंशिक जांच करके मामला उजागर किया तो हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल उस अधिकारी की रिपोर्ट को दरकिनार करके जमीनों की लूट का सिलसिला 2024 तक करने के लिए योजना बना ली गई है।

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चरवा गांव में तैनात सहायक चकबंदी अधिकारी (एसीओ) अशोक लाल ने 18 दिसंबर 2018 को चकबंदी अधिकारी (एसओसी) सुरेंद्र चौधरी को रिपोर्ट सौंपी। उन्होंने लिखा कि नौ दिसंबर 2006 से यह गांव चकबंदी में है। एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी चकबंदी का काम नहीं हुआ। उनसे पहले यहां तैनात कई एसीओ ने सरकारी जमीनें दूसरे लोगों के नाम कर दी। चूंकि इस गांव का बंदोबस्ती भू चित्र या अन्य कोई प्रमाणित भू चित्र उपलब्ध नहीं है। गांव का महत्वपूर्ण अभिलेख सीएच 45 अत्यंत जीर्णशीर्ण स्थिति में है। इसके कई पन्ने अस्तित्व में नहीं है। आधार वर्ष की खतौनी का अद्यतनीकरण नहीं किया गया है। तहसील में तैनात मुख्य अनुरेखक हनुमान प्रसाद ने लिखकर दिया कि चरवा कोई प्रमाणित भू चित्र नहीं है और ऐसी स्थिति में चकबंदी नहीं हो सकती है। फिर भी यहां तैनात पूर्व के एसीओ ने नलकूप आपरेटर का नक्शा लेकर नापजोख कर रहे हैं और सरकारी जमीनों पर कब्जा करवा रहे हैं। ऐसी स्थिति में एसीओ अशोक लाल ने एसओसी को पत्र लिखा कि इस गांव की चकबंदी नहीं सकती है। शासन का भी निर्देश है कि जिन गांवों में दस सालों से किसी कारणवश चकबंदी पूरी न हो पाई हो, उसे धारा छह के तहत तहसील को वापस कर दिया जाय। फिर वहां के राजस्व रिकार्डो में जो गड़बड़ी हो, उसे दुरुस्त किया जाय। इसके बावजूद एसओसी सुरेंद्र चौधरी ने चकबंदी लेखपाल चंद्रभूषण यादव और कानूनगो श्याम लाल पाल की रिपोर्ट पर 2024 तक चरवा में चकबंदी जारी रखने का प्लान शासन को भेज दिया है। क्या है चकबंदी की योजना

एसीओ की रिपोर्ट को दरकिनार उनके अधीनस्थ कर्मचारियों की रिपोर्ट पर एसओसी ने चरवा में चकबंदी का पांच साल का प्लान बनाया है। फिलहाल पिछले 13 सालों में उनकी टीम यहां पर चकबंदी नहीं कर पाई है। उनकी योजना है कि नवंबर 2019 तक धारा आठ, मार्च 2020 तक धारा नौ, नवंबर 2020 तक धारा दस, जुलाई 2021 तक धारा 20, दिसंबर 2012 तक धारा 23, जुलाई 2022 तक धारा 24, नवंबर 2023 तक धारा 27 की कार्रवाई करेंगे। उसके बाद फरवरी 2024 तक धारा 52 की कार्रवाई करते हुए चकबंदी पूरी करेंगे। तमाम गड़बड़ी के बावजूद पूर्व जैसी प्रक्रिया आगे बढ़ाने से अधिकारियों की मंशा साफ जाहिर होती है। क्या है चकबंदी का उद्देश्य

चकबंदी का उद्देश्य है कि दूर दराज फैली किसानों की जमीनों को एक साथ की जाय, जिससे उन्हें खेती करने में आसानी हो। साथ ही गांव में नाली, खड़ंजा, चकरोड आदि निकाला जाय, जिससे ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो सके। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए तालाब, चारागाह, बगीचे आदि के लिए जमीनें सुरक्षित की जाय। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन, बिजली उपकेंद्र सहित अन्य सरकारी कार्य के लिए जमीन सुरक्षित रखी जाय। लेकिन चरवा गांव में इस मानक के उल्टा काम हुआ है।


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