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खेत समतलीकरण के नाम पर लाखों का गोलमाल

संसू चायल शासन की लाख सख्ती के बावजूद मनरेगा में होने वाला गोलमाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसी कड़ी मे जिले में मनरेगा के तहत जमीन समतलीकरण कार्य में लाखों के खेल की आशंका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 11:47 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 06:08 AM (IST)
खेत समतलीकरण के नाम पर लाखों का गोलमाल
खेत समतलीकरण के नाम पर लाखों का गोलमाल

संसू, चायल : शासन की लाख सख्ती के बावजूद मनरेगा में होने वाला गोलमाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिम्मेदारों की मिलीभगत से ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर खुली लूट मची हुई है। 14वां राज्यवित्त हो, चाहे मनरेगा का कार्य या शौचालय निर्माण का कार्य यदि ईमानदारी से जांच हो तो बड़े-बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं। ऐसा ही मामला विकास खंड नेवादा के पदुमनाथपुर सुरसेनी में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां अपात्रों के खेत समतलीकरण के नाम पर मनरेगा से लाखों का फर्जी भुगतान किया गया है।

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पदुमनाथपुर सुरसेनी गांव में मनरेगा योजना के तहत बड़के पुल से सुरसेना गांव तक नहर के दोनो तरफ समतलीकरण कार्य के लिए 289198 रुपये, नहर के गुलाबा से नाला खुदाई और पुलिया निर्माण को 306852 रुपये, रामबहोरी के खेत समतलीकरण कार्य को 173483 रुपये, शिवप्रसाद के खेत समतलीकरण को 98125 रुपये, पौधारोपण के लिए 16016 रुपये सहित कुल 883674 रुपये का भुगतान मनरेगा योजना से किया गया। ग्रामीणों की मानें तो नहर समतलीकरण परियोजना में सिचाई विभाग की बगैर अनुमति के प्राक्कलन का निर्माण, तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति देकर भुगतान किया गया है। जबकि नहर के एक तरफ की पटरी पर पक्की डामर रोड बनी हुई है, जिसका समतलीकरण किया ही नहीं जा सकता। वहीं रामबहोरी के खेत समतलीकरण के प्राक्कलन की धनराशि 173488 रुपये और शिवप्रसाद के खेत समतलीकरण का 98125 रुपये का भुगतान किया गया है। मामले में तकनीकी सहायक ने नियमों को दरकिनार कर बिल्कुल गलत तरीके से वित्तीय अनुमति दी है। ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा से किए गए भुगतान के सभी कार्यो की जांच उच्चाधिकारियों से की गई तो त्रिस्तरीय कमेटी सहित विकास खंड के तकनीकी सहायक कई कर्मचारियों और अधिकारियों पर गाज गिरनी तय हैं।

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कार्य स्वीकृत करने में हुआ खेल

-मनरेगा के कार्यों को फर्जी तरीके से संचालित करना केवल ग्राम प्रधान या सचिव के स्तर से संभव नहीं है। इसके लिए ब्लाक के तकनीकी सहायक के साथ ही रोजगार सेवक और अन्य कर्मचारी भी जिम्मेदार हैं। पूरे मामले की गंभीरता से जांच हुई तो इनकी गर्दन फंसना तय है। कार्य के बाद भुगतान के लिए भी मौके पर जाकर तकनीकी सहायक रिपोर्ट देते हैं। इसके बाद भुगतान की प्रक्रिया होती है। ऐसे में इस मामले में सभी शामिल हैं।

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पदुमनाथपुर सुरसेनी गांव के मनरेगा कार्यो का भौतिक सत्यापन शुक्रवार को करूंगा। संतोषजनक कार्य न मिलने पर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

-विजय शंकर त्रिपाठी,

खंड विकास अधिकारी, नेवादा

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मनरेगा के कार्य में किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर सीधे एफआइआर का नियम है। गांव में कार्यो की जांच कराई जाएगी। किसी कार्य का फर्जी या गलत तरीके से भुगतान निकाला गया होगा तो कार्रवाई होगी।

-इंद्रसेन सिंह, मुख्य विकास अधिकारी।


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