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नाभि पर बाण लगते ही रावण के उड़े प्राण पखेरू

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने दशानन का वध कर अधर्म का नाश किया था। तभी से विजय दशमी को हर साल रावण मारा जाता है। जिला मुख्यालय मंझनपुर समेत कई स्थानों पर रावण के पुतला का दहन किया गया। श्रीराम लक्ष्मण व हनुमान की झांकी हाथी पर निकाली गई और राम-रावण का युद्ध हुआ। श्रद्धालुओं के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 11:24 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 11:24 PM (IST)
नाभि पर बाण लगते ही रावण के उड़े प्राण पखेरू
नाभि पर बाण लगते ही रावण के उड़े प्राण पखेरू

कौशांबी : मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम ने दशानन का वध कर अधर्म का नाश किया था। तभी से विजय दशमी को हर साल रावण मारा जाता है। जिला मुख्यालय मंझनपुर समेत कई स्थानों पर रावण के पुतला का दहन किया गया। श्रीराम, लक्ष्मण व हनुमान की झांकी हाथी पर निकाली गई और राम-रावण का युद्ध हुआ। श्रद्धालुओं के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

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मंझनपुर के दुर्गा मंदिर परिसर में राम व रावण की सेना के बीच युद्ध हुआ। वीर हनुमान युद्ध स्थल में प्रवेश कर बड़े-बड़े राक्षसों के छक्के छुड़ा दिए। इसके बाद लक्ष्मण व मेघनाद के बीच घोर संग्राम छिड़ गया। दोनों ओर के योद्धा एक-दूसरे पर शक्ति बाणों का प्रहार कर रहे थे। मेघनाद ने शक्ति बाण चलाकर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। लक्ष्मण के मूर्छित होने का समाचार मिलते ही जगत के दुख हरने वाले भगवान श्रीराम दुखी हो गए। हनुमान जी के प्रयास के बाद लक्ष्मण के प्राण बचे फिर लक्ष्मण ने बाण छोड़ा तो मेघनाद के प्राण पखेरू उड़ गए। मेघनाद की मौत के बाद रावण के क्रोध की सीमा न रही। वह अपनी सेना के साथ भगवान राम से युद्ध करने लगा। थोड़ी देर के लिए यह युद्ध तो देवताओं को भी सामंजस्य में डाल दिया। फिर विभीषण के बताने पर प्रभु श्रीराम ने रावण की नाभि में तीर मारा तो वह तो वह धूं-धूंकर जलाने लगा और भक्तों ने जयकारे लगाए। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन काफी चुस्त-दुरुस्त रहा। मंझनपुर की ओर से निकाले गए रामदल में रामलीला कमेटी के अध्यक्ष मुकुंदीलाल, प्रेम चौधरी, डा. अवधेश पांडेय, आशीष केशरवानी, अंसुल केशरवानी, पवन, सुमित केशरवानी, अन्नू केसरवानी, पूर्व अध्यक्ष नरेश चंद्र केसरवानी आदि मौजूद रहे।

नारा प्रतिनिधि के अनुसार सिराथू विकास खंड क्षेत्र के नारा बाजार में आयोजित हुई रामलीला में अहंकारी अभिमानी रावण के पुतले का दहन किया और इंस्टाग्राम जमकर आतिशबाजी हुई लोगों ने खुशी का इजहार किया। नारा में आयोजित हो रहे दशहरे के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है। मेले के दौरान कई मूर्तियां आकर्षण सजावट के साथ भगवान की निकाली जाती हैं। जो मेले मे दर्शकों को आकर्षित करती हैं। इसके अलावा रामलीला का मंचन भी यह जाता है। बुधवार को भरत मिलाप का मंचन किया गया। जिसमें भगवान राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न एक दूसरे से गले मिले।

रावण वध से पहले हुआ गेंदा युद्ध

संसू टेढ़ीमोड : पुरानी परंपरा के अनुसार शहजादपुर में रावण के वध से पूर्व रामदल व रावण दल के बीच गेंदा युद्ध हुआ। उसके बाद मैदान युद्ध लड़ने के लिए मेधनाथ आया तब लक्ष्मण और मेघनाथ के बीच घनघोर युद्ध हुआ। जिसमें मेघनाथ ने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। रामदल में निराशा छा गई। तब सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी लंका से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचा लिए। अंत में राम और लक्ष्मण ने रावण पर बाणों की वर्षा कर दी, रावण का सिर कटने के बाद पुन: वह जीवित हो उठता था। तब विभीषण ने बताया कि पर की रावण की नाभि में अमृत है। श्रीराम ने एक साथ इकतीस बाणों का प्रयोग किया जिस पर रावण का अंत हो गया। बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई। उपस्थित लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाकर एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दिया।


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