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सुखद यात्रा की लापरवाही पर उम्र भर की पीड़ा

वर्तमान परिवेश में विकास सड़कों के माध्यम से ही गांव में आता है। यह परिकल्पना जितनी सार्थक है। इसके परिणाम भी उतने की घातक हैं। आज शायद ही कोई गली मोहल्ला ऐसा हो जहां हादसे न हुए हों। इन हादसों में लोगों की जान जाना दिव्यांगता आना आम बात हो गई है। हादसे का सीधा असर उन लोगों पर होता है जिन्होंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को खोया है लेकिन इसका अप्रत्यक्ष हानि पूरे राष्ट्र को होती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 07:01 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 07:01 AM (IST)
सुखद यात्रा की लापरवाही पर उम्र भर की पीड़ा
सुखद यात्रा की लापरवाही पर उम्र भर की पीड़ा

कौशांबी : वर्तमान परिवेश में विकास सड़कों के माध्यम से ही गांव में आता है। यह परिकल्पना जितनी सार्थक है। इसके परिणाम भी उतने की घातक हैं। आज शायद ही कोई गली मोहल्ला ऐसा हो जहां हादसे न हुए हों। इन हादसों में लोगों की जान जाना, दिव्यांगता आना आम बात हो गई है। हादसे का सीधा असर उन लोगों पर होता है, जिन्होंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को खोया है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष हानि पूरे राष्ट्र को होती है। एक व्यक्ति देश के विकास में सहायक होता है। यदि वह नहीं रहा तो देश के विकास में उसके योगदान की भरपाई नहीं हो सकी।

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मानव संसाधन किसी देश के लिए बहुत ही अमूल्य होता है। लोगों के द्वारा किया गया कार्य देश के विकास में सहायक होता है। सड़कें विकास को गति देने का काम करती हैं, लेकिन इन सड़कों पर लापरवाही हुई तो यह लोगों की जान पर बन पड़ती है। इन हादसों के शिकार हुए लोग जहां एक ओर अपना देश के लिए योगदान नहीं दे पाते वहीं परिवार का विकास भी कई साल पीछे चला जाता है। स्वजनों के पास केवल हादसे में अपनों को खोने का गम ही रह जाता है। इन हादसों में कमी के लिए लगातार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है, लेकिन इसके बाद भी कही न कही लापरवाही होती है और हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। हम कौशांबी की बात करें तो यहां हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या किसी अन्य जिले की अपेक्षा कम नहीं है। बीते तीन सालों में 936 हुए हैं। इन हादसों में 536 लोगों ने अपनी जान गवाई है। 663 लोग हाथ-पैर तुड़वाकर अपना उपचार करा चुके हैं। दिव्यांग होने वालों की संख्या भी 65 के आस-ास होगी। जिले के माध्य से करीब 45 किमी नेशनल हाईवे है। ऐसे में यहां से प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं। दो पहिया व चार पहिया वाहन भी हाइवे से होकर गुजर रहे हैं। स्थानीय लोग हाइवे का प्रयाग अपने प्रतिदिन की यात्रा के लिए करते हैं। ऐसे में हादसों की संख्या अधिक रहती है। ठंड के मौसम में धुंध के कारण यात्रा करना सुलभ नहीं होता, ऐसे में लोग जरूरत के अनुसार यात्रा के लिए मजबूर होते हैं। इन यात्रा के दौरान अक्सर वह हादसे का शिकार हो जाते हैं। हादसे में खोया पति तो अब जीवन हो गया सूना

कसेंदा निवासी शांती देवी के पति भोला करीब एक साल पहले गांव के बाहर से गुजरी सड़क पर हादसे का शिकार हो गए थे। उनकी मौत के बाद पत्नी घर पर अकेली रह गई। परिवार में पत्नी के अलावा दो भाई और मां थी। जो अब अलग रहती हैं। ऐसे में शांती देवी अकेले जीवन यापन कर रही हैं। कोई संतान न होने के कारण उनकी सूना घर खाने को दौड़ता है। पति के पारंपरिक कार्य सिलाई करते हुए गुजर बसर कर रही हैं। बीते तीन साल में हुई हादसे

वर्ष हादसे मौत घायल

2018 388 166 243

2019 245 174 242

2020 303 198 178

---- सतर्क रहे दूल्हे, घोड़ों में हो सकता है ग्लैंडर्स

कौशांबी : वैवाहिक कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं, 25 नवंबर से शुभ लग्न भी है। शादी के समय घोड़े पर बैठने वाले दूल्हे सतर्क रहें, क्योंकि घोड़ों में ग्लैंडर्स एवं फार्सी नाम का वायरस तेजी से फैल रहा है, जो लाइलाज है। ठंड के मौसम में इसका असर अधिक होता है। वायरस के जरिए ये बीमारी घोड़ों से इंसानों में पहुंचती है। हालांकि इस बीमारी से बचाव के लिए पशुपालन विभाग प्रयासरत है।

25 नवंबर से शादियां शुरू हो रही हैं। अधिकतर दुल्हे द्वार पूजा के समय घोड़े पर चढ़ कर पहुंचते हैं। दूल्हों का ये शौक कही उनके लिए घातक न हो। ग्लैंडर्स का वायरस घोड़ों से इंसानों में पहुंचता है। हर माह 20 घोड़ों के सीरम को जांच के लिए लैब भेजा जाता है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी पांडेय ने बताया कि घोड़े व गधों में ग्लैंडर्स एवं फार्सी बीमारी तेजी फैलती है। ठंड के मौसम में इसका असर अधिक होता है। बीमारी से पीड़ित पशुओं से निकलने वाले वायरस मनुष्यों को भी बीमार करते है। इस बीमारी से घोड़ों को बचाने के लिए पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। पशु चिकित्सक व पशुधन प्रसार अधिकारी घोड़े व गधे पालने वालों के संपर्क में रहते हैं। हर माह घोड़े व गधों का सीरम हरियाणा की लैब में जांच के लिए भेजा जाता है।

पिछले वर्ष चार गधों में हुई थी पुष्टि

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी पाठक ने बताया कि पिछले वर्ष सरसवां के एक ईंट भट्ठे के चार गधों में ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई थी। जिस पशु पालक के मवेशी थे। वह जालौन के थे। जानकारी होने के बाद वह गधों को लेकर जालौन चले गए थे। वहां इंजेक्शन देकर चार गधों को मौत के घाट उतारा गया है। वर्ष 2018-19 में सिराथू के इचौली गांव में एक घोड़ी में ग्लैंडर्स एवं फार्सी बीमारी पुष्टि हुई थी। उसे इंजेक्शन लगाकर मौत के घाट उतार दिया जाता है।


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